प्रयागराज : 30 जून को सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि न देने पर रेलवे पर लगाया जुर्माना

प्रयागराज :  30 जून को सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि न देने पर रेलवे पर लगाया जुर्माना

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट में अलग-अलग वर्षों में 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले रेलवे सुरक्षा बल के 12 कर्मचारियों को वार्षिक वेतन वृद्धि से वंचित करने के मामले में भारतीय रेलवे के विभिन्न विभागों पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए महानिदेशक, आरपीएफ, रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली से कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई या उसे रद्द नहीं किया गया तो स्पष्टीकरण आवेदन के लंबित रहने मात्र से कर्मचारियों को इसका लाभ देने से मना नहीं किया जा सकता है।

फैसले के स्पष्टीकरण की मांग करना पक्षकारों का अधिकार है, लेकिन आवेदन के लंबित रहने का मतलब यह नहीं है कि विपक्षी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में पारित रिट कोर्ट के आदेश का पालन करने से इंकार कर दें। कोर्ट ने माना कि महानिदेशक के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करना चाहिए था, जिन्होंने आदेश का पालन करने से इंकार कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने महानिदेशक को सुप्रीम कोर्ट के सीपी मुंडिनमणि और एम. सिद्धराज के मामले में हुए फैसले के आलोक में पूर्व पारित निर्णयों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों की पेंशन संशोधित करने तथा एक मई 2023 से बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने आर. के. प्रसाद एवं अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया। दरअसल अलग-अलग वर्षों में 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारियों ने उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि से वंचित करने के आदेश को चुनौती देते हुए वेतन वृद्धि के साथ-साथ मूल वेतन और सेवानिवृत्ति परिलाभों को संशोधित करने की प्रार्थना की। कर्मचारियों का मामला था कि 30 जून को सेवानिवृत होने पर उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि से वंचित कर दिया गया जो प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को मिलती है। उनका तर्क था कि 1 जुलाई से 30 जून तक पूरे 1 साल उन्होंने काम किया है। अतः वे वेतन वृद्धि के हकदार हैं, भले ही वह 30 जून को सेवानिवृत हुए हों।

याचियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि दी जानी चाहिए और सेवानिवृत्ति परिलाभों की गणना वेतन वृद्धि देने के बाद की जानी चाहिए। इस संदर्भ में कोर्ट ने महानिदेशक, रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा, जिसमें बताया गया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीएंडटी) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया है, जिसमें काल्पनिक वेतन वृद्धि के संबंध में अपने तर्क रखने का अवसर मांगा गया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग भी की गई है।

इस आधार पर महानिदेशक ने हलफनामे में कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और काल्पनिक वेतन वृद्धि प्रदान करने का मुद्दा अभी अंतिम रूप नहीं ले पाया है, इसलिए याचियों की प्रार्थना स्वीकार नहीं की जा सकती है, जिस पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हस्तक्षेप आवेदन के लंबित रहने पर याचियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि के साथ उनके संशोधित सेवानिवृत्त परिलाभों से वंचित नहीं किया जा सकता है।

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