मुरादाबाद: ये कैसा संकट… अफसरों के दावों को खारिज कर रही ‘टूटती सांसों’ की हकीकत

मुरादाबाद,मोहित गौर। मौजूदा स्थितियों के साथ ही अब हालात बदल रहे हैं, हमारी सांसों में घुलने वाली आक्सीजन भी अब हमें मुफ्त नहीं मिल रही है। कोरोना संक्रमण के बाद अब आक्सीजन की किल्लत ने एक महामारी का रूप ले लिया है। आक्सीजन की किल्लत का यह ‘वायरस’ अब जानलेवा साबित होने लगा है। कहने …
मुरादाबाद,मोहित गौर। मौजूदा स्थितियों के साथ ही अब हालात बदल रहे हैं, हमारी सांसों में घुलने वाली आक्सीजन भी अब हमें मुफ्त नहीं मिल रही है। कोरोना संक्रमण के बाद अब आक्सीजन की किल्लत ने एक महामारी का रूप ले लिया है। आक्सीजन की किल्लत का यह ‘वायरस’ अब जानलेवा साबित होने लगा है। कहने को तो शासन-प्रशासन पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन होने का दावा कर रहे हैं, इसके बाद भी सांसे तड़प-तड़पकर संक्रमित मरीज के शरीर का साथ छोड़ रही है। गुरुवार को तथाकथित रूप से आक्सीजन की कमी में हुई ब्राइट स्टार अस्पताल में छह मौतों के बाद भी प्रशासन यह कटु हकीकत स्वीकारने को तैयार नहीं हैं।
अपनों के शवों के बीच हंगामा कर रहे परिजन जहां आक्सीजन की कमी का हवाला देकर मौत होने की बात कह रहे थे तो वहीं प्रशासन व अस्पताल के अफसर यह कहकर खुद को बचा रहे थे कि आक्सीजन की कोई कमी नहीं हैं। अब सवाल यह है कि अगर अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मौजूद थी तो फिर किसी आधार पर अस्पताल प्रशासन ने तीमारदारों से अपने स्तर पर आक्सीजन के सिलेंडर मंगवाने के लिए कहा था। आंख उस समय नम हो गई जब मौतों के बाद हुए अस्पताल में चल रहे हंगामे के दौरान देखा गया कि तमाम तीमारदार आक्सीजन के सिलेंडर अपने कंधे पर लादकर ला रहे थे। इतना ही नहीं कई लोग तो अस्पताल के बाहर अपने तीमारदार के लिए लाए गए सिलेंडर की रक्षा करते नजर आए।
शायद गुरुवार का दिन मुरादाबाद जिले के इतिहास में कोरोना संक्रमण के साथ ही आक्सीजन की कमी से होने वाली मौत का एक काला अध्याय बनने को ‘बेताब’ दिखा। कोरोना के पैर पसारते ही आक्सीजन की कमी ने लोगों को मरने के लिए मजबूर कर रहे हैं। कहने को शासन के आदेश के बाद प्रशासन ने आक्सीजन की कालाबाजारी रोकने को ‘कागजी तौर’ पर अपनी सख्ती दिखा दी। कंट्रोल रूम खोलने के साथ ही वाट्सएप नंबर जारी कर दिए गए। आक्सीजन सिलेंडर के अलावा जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों की सूचना देने की बात कही गई। इन तमाम सख्ती के बाद भी खुलेआम सिलेंडर के अलावा जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी हो रही है। इसका खुलासा खुद पुलिस ने बुधवार को किया था। पुलिस ने महानगर के तीन नामचीन निजी अस्पताल में काम करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिन्होंने खुद कालाबाजारी की बात स्वीकार की थी। इसके बाद भी ‘जवाबदेहियों’ को जिंदगी और मौत से जूझने वालों की कद्र नहीं हो रही है।
आखिर किसको बचा रहा है प्रशासन
इस खुलासे के बाद गुरुवार को शहर के नामचीन अस्पताल ब्राइट स्टार में आक्सीजन की कमी से छह लोगों की मौत हो गई। यह आरोप हम नहीं बल्कि मरने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन लगा रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने फोन करके कहा कि अगर मरीज को बचाना है तो आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था खुद करें। परेशान तीमारदार कई चौखटों में जाने के बाद महंगे दामों में सिलेंडर लेकर आए लेकिन इसके बाद भी उनके मरीज इस दुनियां में नहीं रहे। इसकी जानकारी होने पर परिजनों ने आक्सीजन के कारण मौत होने का हवाला दिया तो प्रशासनिक अफसरों के बयान कुछ अटपटे आए। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने दावा किया कि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन थी। अस्पताल प्रशासन ने भी इस दावे पर अपनी मोहर लगा दी। चलो, इन दोनों दावों के अगर सही माना जाए तो सवाल यह उठता है कि फिर डाक्टरों ने तीमारदारों से आक्सजीन के सिलेंडर क्यों मंगवाए। इस सवाल को खुद अस्पताल के बाहर के हालातों ने खड़ा किया है। जहां पर तीमारदार अपने कंधों पर आक्सीजन के सिलेंडर लादकर लाते नजर आए। इतना ही नहीं कई तीमारदार तो अस्पताल के बाहर आक्सीजन से भरे सिलेंडर की रखवाली भी कर रहे थे।