मुरादाबाद: हर्बल होली खेलेंगे लोग, टेसू फूलों के रंग से महकेंगी शहर की गलियां

मुरादाबाद: हर्बल होली खेलेंगे लोग, टेसू फूलों के रंग से महकेंगी शहर की गलियां

मुरादाबाद, अमृत विचार। अब तक हर साल होली पर लोग रासायनिक रंगों व गुलाल का प्रयोग करते थे, जिससे त्वचा को काफी नुकसान होता था। लेकिन कुछ सालों से लोग जागरूक हुए हैं और उनका रुझान हर्बल उत्पादों की ओर बढ़ने लगा है। इसके चलते रासायनिक रंगों से उनका मोह खत्म होता जा रहा है। …

मुरादाबाद, अमृत विचार। अब तक हर साल होली पर लोग रासायनिक रंगों व गुलाल का प्रयोग करते थे, जिससे त्वचा को काफी नुकसान होता था। लेकिन कुछ सालों से लोग जागरूक हुए हैं और उनका रुझान हर्बल उत्पादों की ओर बढ़ने लगा है। इसके चलते रासायनिक रंगों से उनका मोह खत्म होता जा रहा है। इसके स्थान पर उन्होंने हर्बल रंगों को महत्व देना शुरू कर दिया है।

महानगर वासी हर्बल रंगों से होली खेलना काफी पसंद कर रहे हैं। इस बार होली पर टेसू के फूलों से शहर की सड़कों से लेकर गलियां महकने वाली हैं। इस बार लोग बाजारों में बिकने वाले हर्बल रंगों के साथ ही टेसू के फूलों से बने रंगों से होली मना सकेंगे।

होली के नजदीक आते ही शहर की सड़कों से लेकर गलियों में हु़ड़दंग सुनाई देने लगी है। लोग होली की तैयारियों में जुटे हुए हैं। शहर के मुख्य बाजार ताड़ीखाना, कटरा नाज से लेकर गंज बाजार रंगों व पिचकारियों से सज गए हैं। हर तरफ अबीर-गुलाल और गुंजिया की खुशबू लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इसके साथ ही बच्चों से लेकर बुजुर्गों में होली को लेकर खासा उत्साह है। इस बार बाजार में आई इलेक्ट्रानिक पिचकारियां व गुलाल सिलेंडर बच्चों को काफी आकर्षित कर रहे हैं।

होली का पर्व आपसी भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है। ऐसे में लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर गिले-शिकवे दूर करते हैं। वहीं युवाओं में भी इस पर्व को लेकर खासा उत्साह रहता है। इस अवसर पर बच्चे और बुजुर्ग भी तरह-तरह की भेषभूषा में शहर की सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। इसको लेकर बाजारों में सजी विग, चश्मों और तरह- तरह के मास्कों की लोग खूब खरीदारी कर रहे है। वहीं होली पर नए कपड़े और मिठाइयों का भी महत्व होता है।

इलेक्ट्रानिक व थ्री इन वन पिचकारी की मांग अधिक
हर साल बच्चे टैक पर बने कार्टून की पिचकारियों की काफी खरीदारी करते थे। लेकिन इस बार बाजारों में आई इलेक्ट्रानिक व थ्री इन वन पिचकारी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। ऐसे में इस बार बच्चों का रुझान इलेक्ट्रानिक व थ्री इन वन पिचकारी की ओर काफी जा रहा है।

टेसू फूलों के रंग की बहार
पिछले कई सालों से लोग अपनी त्वचा को देखते हुए हर्बल रंगों से होली खेलना पंसद करते हैं। ऐसे में इस बार हर्बल गुलाल व पक्के रंगों के साथ ही लोग टेसू के फूलों से बने रंगों का भी आनंद ले सकेंगे। इस बार बाजारों में टेसू के फूलों से बने रंग भी उपलब्ध हैं।

होली के टी र्शट की हो रही खूब बिक्री
शहर में होली को लेकर जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके लिए लोग एक हफ्ते पहले से तैयारियां कर लेते हैं। ऐसे में लोग रंगों से पूरे होली की थीम में नजर आते हैं। बाजारों में होली टी र्शट की खरीदारी करनी लोगों ने अभी से शुरू कर दी है।

राजस्थानी पगड़ी लोगों का मोह रही मन
होली पर बच्चे हो या फिर बुजुर्ग सभी तरह-तरह की भेषभूषा बनाकर शहर की सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। इस बार चश्मे, मुखौटों के साथ ही राजस्थानी पगड़ी लोगों को अपनी परंपराओं से जोड़ेगी। इस बार बाजारों में आए राजस्थानी पगड़ी लोगों का मन रही है।

फलों से बने गुलाल बिखेर रहे बाजारों में अपना रंग
अब तक लोग हर्बल गुलाल से होली खेला करते थे। लेकिन इस बार बाजार में आए फलों से बने गुलाल से होली खेल सकेंगे। शहर के बाजारों में फलों से बने गुलाल अपना रंग बिखेरना शुरू कर दिए हैं।

मूछे दाड़ी बच्चों को देंगी नया अंदाज
होली को लेकर बच्चे हर साल शहर की सड़कों से लेकर गलियों में एक हफ्ते पहले से ही हुड़दंग मचाने लगते हैं। कोई मास्क तो कोई चश्मा लगाकर पिचकारियों से होली खेलते नजर आते हैं। जबकि इस बार बच्चें मूछ दाड़ी लगाकर अलग अंदाज में नजर आने वाले हैं। इसके चलते बच्चे दाड़ी मूछों की खूब खरीदारी कर रहे हैं।

होली के आते ही मांवे के दामों आई तेजी
मावा विक्रेता अमित गुता का कहना है कि होली का पर्व नजदीक आते ही मावे के दामों में काफी तेजी आई है। जहां मावा पहले तीन सौ रुपये प्रति किलों बिक रहा था। वहीं अब मावे के दाम बढ़कर तीन सौ के पार चले गए है। उनका कहना है कि प्रति दिन 20 से 30 किलों मावे की बिक्री हो जाती है।

बरगुलियों का होली पर है बड़ा महत्व
होली पर पुजन-पाठ का भी विशेष महत्व है। ऐसे में लोग होली का दहन करने से पहले होलिका माई का पूजन करते हैं। जिसकों लेकर बाजारों में बरगुलियों भी सज गई हैं। ऐसे में लोग खुब बरगुलियों की खरीदारी कर रहे हैं।

होली पर है गुझिया खिलाने की पंरपरा
होली पर घरों में गुझिया बनाने की पंरपरा है। लेकिन बदलते दौर में बाजार से गुझिया खरीदने का फैशन कुछ सालों से काफी बढ़ गया है। मिठाई विक्रेता आशु अग्रवाल ने बताया कि होली पास आते ही गुझियों की डिमांड बढ़ गई है। जितनी गुझिया रोजाना बिक जाए, उसी औसत से तैयार कराई जा रही है। वहीं दूसरी ओर गणेश स्वीट्स के विक्रेता राजेश अग्रवाल ने बताया कि होली पर नमकीन की डिमांड ज्यादा है। मूंग की दाल व काजू वाली नमकीन की बिक्री ज्यादा गो रही है। नमकीन समोसा भी लोगों को काफी पसंद आ रहा है।

शुगर फ्री गुझिया भी बाजार में उपलब्ध
शुगर के मरीजों को होली की गुझिया खिलाए बगैर हैप्पी होली बोलना नहीं अखरेगा। बाजार में शुगर फ्री गुझिया भी मौजूद है। बाजार में गुझिया की काफी बड़ी रेंज तैयार है। दुकानों पर गुझिया बनाने की तैयारी जोरों पर चल रही है। शुगर की बीमारी वालों को मीठे की मनाही है। लेकिन होली पर गुझिया का मजा न मिले तो कैसी होली। इसलिए शुगर फ्री गुझिया तैयार की जा रही है। इसके दाम साधारण गुझिया से कुछ ज्यादा है।

क्या बोले लोग
दुकानदार अंकित भाटिया ने कहा कि हर साल 15 दिन और एक हफ्ते पहले से ही होली को लेकर तैयारियां कर ली जाती हैं। इस बार लोग हर्बल रंग, मास्क व दाड़ी मूछ की काफी डिमांड कर रहे हैं।

दुकानदार अजय कक्कड़ ने कहा कि इस बार गुलाल सिलेंडर व टेसू के फूल से बने रंग बाजार में नए है। ऐसे में लोग अपनी त्वचा का ध्यान रखते हुए हर्बल रंगों की काफी खरीदारी कर रहे है।

दुकानदार संजय जैन ने कहा कि होली पास आते ही लोग खरीदारी में जुटे हुए हैं। इस बार लोग मलिंगा विग से लेकर गुलाल बम और गुलाल वाटल की काफी खरीदारी कर रहे हैं।

चर्म रोग विशेषज्ञ डाक्टर विकास गुप्ता ने कहा कि होली पर लोगों को रासायनिक रंगों से परहेज करना चाहिए। ये रंग त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके स्थान पर हर्बल और टेसू के फूलों से बने रंगों से होली खेलनी चाहिए।

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