बदायूं: बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन, मुनाफे का नया तरीक

बदायूं: बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन, मुनाफे का नया तरीक

प्रदीप सक्सेना, अमृत विचार: जिले के किसान परंपरागत खेती के साथ मछली पालन कर नई तकनीक का प्रयोग कर रहे है। सहसवान की एक महिला किसान ने बायोफ्लॉक विधि से मछली का पालन शुरू किया है। बायोफ्लॉक एक आधुनिक और पर्यावरणीय अनुकूल मत्स्य पालन की तकनीक है।

बायोफ्लॉक मशीन के माध्यम से मछली को न सिर्फ ऑक्सीजन मिल रही है बल्कि उत्पादित अपशिष्ट यानि मछली के मल को बायोमास में परिवर्तित किया जाने लगा। इसे मछलियां अपने भोजन में उपयोग कर रही हैं। इससे उनके भोजन पर खर्च होने वाले बजट में भी लाभ मिल रहा है।

दातागंज क्षेत्र के गांव अखूनगर निवासी लक्ष्मी ने बताया कि एक साल पूर्व तक वह परंपरागत खेती करती थीं। खेती में मुनाफा कम नुकसान अधिक उठाना पड़ रहा था। उनके मन में मछली पालन का विचार आया तो पति राजेश से सांझा किया। राजेश ने मत्स्य विभाग में जानकारी हासिल की तो उन्हें बायोफ्लॉक विधि से मछली का उत्पादन करने का सुझाव दिया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए आवेदन किया। उनका 14 लाख का ऋण स्वीकृत हो गया। 

राजेश ने 0.1 हेक्टेयर भूमि पर खुदाई कराकर कृत्रिम तालाब का निर्माण कराया। तारपोलिन बिछाकर पानी भरकर ग्रोइंग मछली छोड़ी। मछली को ऑक्सीजन मिलती रहे इसके लिए बायोफ्लॉक मशीन लगाई। इसके माध्यम से मछली को न सिर्फ ऑक्सीजन मिल रही है बल्कि उत्पादित अपशिष्ट यानि मछली के मल को बायोमास में परिवर्तित किया जाने लगा। इसे मछलियां अपने भोजन में उपयोग कर रही हैं। इससे उनके भोजन पर खर्च होने वाले बजट में भी लाभ मिल रहा है।

पहली बार में आठ टन हुआ उत्पादन
राजेश ने बताया कि बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन का व्यवसाय पिछले साल सितंबर माह में शुरू किया था। फरवरी माह के अंत तक करीब आठ टन मछली का उत्पादन हुआ। इससे उन्हें करीब पांच लाख रुपये का मुनाफा हुआ है। मार्च माह में फिर से मछली का बीज डाला दिया है, जो कि अगस्त माह तक तैयार हो जाएगा।

बताया कि बायोफ्लॉक तकनीक से एक साल में दो बार मछलियों का उत्पादन होता है। इसीलिए यह तकनीकी बेहद फायदेमंद सिद्ध हो रही है। बताया कि इस तकनीक से मछलियां तेजी से ग्रोथ करती हैं। मछली माह में एक से दो किलो वजन की हो जाती है।

पर्यावरणीय के अनुकूल है बायोफ्लॉक तकनीक
जिला मत्स्य अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि मत्स्य पालक किसान कम जगह में भी बगैर तालाब के आसानी से बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। बायोफ्लॉक तकनीक एक आधुनिक और पर्यावरणीय अनुकूल मत्स्य पालन की तकनीक है।

इस तकनीक का मुख्य आधार यह है कि मछलियों द्वारा उत्पादित अपशिष्ट (जैसे नाइट्रोजन) को उपयोगी बायोमास में परिवर्तित किया जाता है। यह सूक्ष्म जीव अपशिष्ट को खाकर उसे प्रोटीन में बदल देते हैं, जिसे मछलियां पुनः भोजन के रूप में उपयोग कर सकती हैं। इससे किसान को मछलियों के भोजन पर अधिक खर्च नहीं करना पड़ता।

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