पीलीभीत में कूड़े के ढेर से नाले चोक, जलभराव और मच्छरों का बढ़ा प्रकोप

पीलीभीत, अमृत विचार: ढाई लाख से अधिक आबादी वाले शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए नगर पालिका की ओर से तमाम प्रयास किया जा रहे हैं। मगर, इन सबके बावजूद व्यवस्थाएं ढर्रे पर नहीं आ पा रही हैं। हर साल बारिश में शहर की सड़कें जलभराव के बाद तालाब का रूप ले लेती हैं।
जिसके पीछे नालों की तलीझाड़ सफाई न होना मुख्य वजह माना जाता रहा है। निकाय चुनाव में ये मुद्दा गरमाया भी रहा था, जोकि नगरपालिका की सत्ता पलटने का मुख्य कारण बना। अब इस दिशा में काम कराया जा रहा है लेकिन अभी पूरी तरह से हालात में सुधार नहीं हो सका है।
शहर में मुख्य नालों का हाल बदतर है। जिसकी एक वजह उसमें लगातार डाले जा रहे पॉलिथीन के ढेर भी हैं। नाले चोक हो चुके हैं, उसमें गंदगी बजबजा रही है। आबादी के बीच संचालित हो रही डेयरियों से गोबर बहाने पर गली -मोहल्लों की नालियां चोक पड़ी हैं। सफाई व्यवस्था बदतर होने के चलते मच्छरों की भरमार है, जिससे शहरवासी परेशान है। मगर, अभी तक फॉगिंग शुरू नहीं हो सकी है।
शहर में जलभराव की दिक्कत लंबे समय से चली आ रही है। इसका समाधान कराने के लिए कई नए नाले भी बनवाए जा रहे हैं। जिन पर करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है। हालांकि उसमें भी सवाल खड़े होते रहे हैं। अब एक अप्रैल से संचारी रोग नियंत्रण दस्तक अभियान की शुरुआत होनी है। एक दिन पहले ही डीएम संजय कुमार सिंह ने इसे लेकर नगरपालिका के जिम्मेदारों को सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराने के निर्देश दिए हैं।
अमृत विचार की टीम ने रविवार को शहर के मुख्य नालों की हकीकत देखी तो हालात बद से बदतर मिले। हालांकि नगरपालिका के जिम्मेदारों का तर्क है कि सफाई व्यवस्था में सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही शहर की सफाई व्यवस्था में और सुधार होगा। लोगों को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
दृश्य एक: बिजली घर तिराहा
शहर के गैस चौराहा से मां यशवंतरी देवी मंदिर को जाने वाली सड़क पर बिजली घर के पास नाला है। यहां पर वैसे तो कूड़े के ढेर सड़क पर लगने की कई बार स्थानीय लोग शिकायत कर चुके हैं। ये नाला खुद गंदगी का टापू बन चुका है। कूड़े-करकट की एक मोटी परत जम चुकी है। जिसमें अधिकांश पॉलिथीन के ढेर हैं। वहीं, कूड़ा उठाने का समय भी तय नहीं है।
दृश्य दो: मोहल्ला बजरिया
शहर के विशाल टॉकीज के पास से मोहल्ला बजरिया की तरफ निकले नाले का हाल भी बदहाल था। उसमें पॉलिथीन का ढेर समेत अन्य कूड़ा करकट जमा देखा गया। देखकर ही प्रतीत हो रहा था कि इसकी लंबे समय से साफ सफाई नहीं की गई है। स्थानीय लोगों का कहना था कि इसकी वजह से मच्छरों की तादाद बढ़ रही है। रात को छोड़िए दिन में ही मच्छरों की भिनभिनाहट परेशान कर देती है।
दृश्य तीन: सुनगढ़ी थाना
रेलवे स्टेशन रोड पर सुनगढ़ी थाने के सामने की तरफ से नाला गुजरा है। यहां पर नाले के ऊपर स्लैब भी डाले गए हैं। इसके अलावा ठेले लगते हैं। बाजार से सटा इलाका होने के चलते पॉलिथीन भी बड़ी मात्रा में फेंकी जाती है। इस नाले में पानी भले ही न दिखाई दे, लेकिन कूड़े का ढेर लगे रहते हैं। एक तरह से नाला डलावघर का रूप ले चुका है। इससे कूड़ा निकलवाने की भी जहमत नहीं उठाई जा रही है।
शहर के नालों की सबसे बदतर तस्वीर गांधी स्टेडियम रोड से हैं। दरअसल, बीते कुछ समय में ये इलाका स्ट्रीट फूड का हब बन चुका है। पूर्व में कई बार ठेला और फड़ लगाने वालों को ये चेतावनी भी दी गई थी कि उनके यहां जमा होने वाला कूड़ा नाले में न डाला जाए। इसके बाद अधिकांश ने प्रतिष्ठान में डस्टबिन तो रखवा लिए, लेकिन प्रतिदिन जमा होने वाला कूड़ा नाले में ही डाला जा रहा है। जिससे नाला चोक हो चुका है। यह बात नाले में जमा गंदगी को देख स्पष्ट भी हो रही है। चूंकि इसमें डिस्पोजल ग्लास, प्लेट व खाद्य सामग्री से जुड़े ही खाली रैपर आदि हैं।
- 2.50 लाख आबादी वाले शहर में हैं कुल 27 वार्ड।
- 75 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है प्रतिदिन शहर में।
- 175 सरकारी और 196 आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं नगर पालिका के पास।
- 50 से अधिक वाहन सफाई कार्य के लिए हैं मुहैया।
- 07 किमी दूरी पर मीरापुर गांव में बना है डंपिंग ग्राउंड।
- 4.19 करोड़ रुपये से बनवाया गया है एफएसटीपी (फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट)।
- 33.50 लाख रुपये से बनवाया गया है एमआरएफ सेंटर।
- 22 नए नालों का जलभराव दूर कराने को राया जा रहा है निर्माण।
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