रबड़ फैक्ट्री: डीएम-कमिश्नर से शासन ने मांगी स्थिति पर रिपोर्ट, बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है केस

बरेली, अमृत विचार : बॉम्बे हाईकोर्ट में केस विचाराधीन होने के बावजूद फतेहगंज पश्चिमी में करीब 25 साल से बंद पड़ी रबड़ फैक्ट्री की भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की कवायद तेज हो गई है। वनमंत्री डॉ. अरुण कुमार की ओर से कई बार पत्र लिखने के बाद शासन ने कमिश्नर, डीएम और यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी से रबड़ फैक्ट्री केस की स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी है।
औद्योगिक विकास के उप सचिव निर्मेष कुमार की ओर से इस संबंध में जारी पत्र में डॉ. अरुण की ओर से किए गए पत्राचार का जिक्र किया है। इनमें पूछा गया था कि बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित पिटीशन में 20 दिसंबर 2023 को पारित आदेश के विरुद्ध अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन ने पिछले साल हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया गया या नहीं। साथ ही केस की अद्यतन स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी लेकिन अफसरों की ओर से शासन को इस बारे में कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई। अब उपसचिव ने फिर तीनों अफसरों को केस से संबंधित रिपोर्ट जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का है ख्वाब
राज्य सरकार के हक में फैसला होने के बाद भविष्य में अगर रबड़ फैक्ट्री की भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुआ तो इसका लाभ जनपद के युवाओं को मिलेगा। कहा जा रहा है कि औद्योगिक क्षेत्र में हजारों रोजगारों का सृजन होगा। रबड़ फैक्ट्री की करीब 13 सौ एकड़ भूमि है।
फतेहगंज पश्चिमी में फैक्ट्री स्थापित करने के लिए यूपी सरकार ने 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को 3.40 लाख रुपये लेकर 1382.23 एकड़ भूमि इस शर्त पर लीज पर दी थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार जमीन वापस ले लेगी लेकिन 15 जुलाई 1999 को फैक्ट्री बंद हुई तो राज्य सरकार उस पर कब्जा नहीं ले सकी थी।
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