युवाओं का भविष्य सफल बनाने में विफल रही केंद्र सरकार, स्कूलों में घटी दाखिलों की संख्या, बोले कांग्रेस नेता
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नई दिल्ली, अमृत विचारः केंद्र पर शिक्षा की ओर समुचित ध्यान नहीं देने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने दावा किया कि बीते बरसों के दौरान स्कूलों में दाखिलों की संख्या घटी है, जो बताती है कि सरकार देश के युवाओं का भविष्य सुरक्षित रखने में विफल रही है। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय की शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली ‘‘यूडीआईएसी’’ रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में स्कूलों में दाखिला 25.17 करोड़ कम हो गया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में इन स्कूलों में दाखिलों में 24.8 करोड़ की कमी आई।
प्रमोद तिवारी ने कहा ‘‘इससे पता चलता है कि मोदी सरकार देश के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने में विफल रही है। यह आर्थिक कुप्रबंधन को दिखाता है। गरीबों को अपने बच्चों को स्कूल से निकालना पड़ रहा है।’’
उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम का कहना है कि उनके स्कूल के कमरों का उपयोग कम हो रहा है जबकि तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब जैसे राज्यों में दबाव और बुनियादी ढांचों की समस्या है।
प्रमोद तिवारी ने आगे कहा, ‘‘लाखों बच्चों का स्कूल से बाहर होने का आंकड़ा चेतावनी देने वाला है।’’ उन्होंने पूछा कि सरकार कैसा हिंदुस्तान बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह एक पीढ़ी की शिक्षा तक पहुंच खोने का मामला है। तिवारी ने कहा कि स्कूलों में नामांकन कैसे घट रहा है, इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि शिक्षा का बजट भी कम हो गया है। ‘‘सरकार वास्तव में ‘‘शिक्षित बेरोजगार’’ नहीं पैदा होने देना चाहती।’’
शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि इस साल शिक्षा को सर्वाधिक बजट मिला है। भाजपा की डॉ संगीता बलवंत ने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में ‘‘सीएसडी कैंटीन’’ स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गाजीपुर में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद, महावीर चक्र विजेता रामउग्रह पांडेय, मोहम्मद इश्तियाक खान हुए हैं। उन्होंने कहा कि सभी सेनाओं को मिला कर 3382 वीर नारियां यहां रहती हैं। उन्होंने कहा कि गाजीपुर में करीब 30 हजार पूर्व सैनिक रहते हैं और वर्तमान में सेवारत 40 हजार सैनिक गाजीपुर से हैं। उन्होंने कहा कि इतने सैनिक देने वाले गाजीपुर में ‘सीएसडी कैंटीन’ नहीं है। उन्होंने कहा कि सैनिकों को सामान लेने के लिए करीब 100 किमी दूर वाराणसी जाना पड़ता है इसलिए गाजीपुर में एक ‘सीएसडी कैंटीन’ खोला जाना चाहिए।
भाजपा सदस्य ने मांग की कि सैनिकों को मिलने वाली ‘ईसीएसएच’ चिकित्सा सुविधा भी गाजीपुर में दी जाए क्योंकि अभी सैनिकों को इसके लिए वाराणसी जाना पड़ता है। द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा ने अरोप लगाया कि तमिलनाडु को केंद्र के सौतेले व्यवहार का सामना करना पड़ता है जिससे सहकारी संघवाद की भावना का उल्लंघन होता है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु को दो बड़े चक्रवात तथा अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा है और केंद्र ने 267 करोड़ रुपये दिए जबकि राज्य ने 37,906 करोड़ रुपये मांगे थे।
शिवा ने कहा कि तमिलनाडु की आबादी देश की 6.9 फीसदी है और जीडीपी में उसका योगदान नौ फीसदी है। दूसरे राज्य ऐसे हैं जिनकी आबादी अधिक है और जीडीपी में उनका योगदान कम है। उन्होंने सरकार से अतिरिक्त आपदा राहत राशि तथा विभिन्न मदों में तमिलनाडु की बकाया राशि शीघ्र दिए जाने की मांग की।
एमडीएमके सदस्य वाइको ने तमिलनाडु में प्रस्तावित परमाणु संयंत्र का मुद्दा उठाया और कहा कि चेरनोबिल त्रासदी को लोग भूल नहीं पाए हैं और तमिलनाडु ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहता। अन्नाद्रमुक के पी विल्सन ने सरकारी पदों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की नियुक्ति में पारदर्शिता बरतने की मांग की। शून्यकाल में ही कांग्रेस की जे बी माथेर हीशम, वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के गोलाबाबू राव, भाजपा के राएगा कृष्णैया और धर्मशिला गुप्ता ने भी अपने-अपने मुद्दे उठाए।