पीलीभीत: जर्जर सड़कें और कूड़े के ढेर बने मलिन बस्ती की पहचान, आए दिन हो रहे हादसे

पीलीभीत, अमृत विचार: विकास के तमाम दावों के बीच शहर की सूरत बेहतर नहीं हो सकी है। मलिन बस्तियों में भी सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। सालों से जर्जर सड़कें, चोक नालियां और कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। स्थानीय लोगों में सुधार न होने पर खासा नाराजगी है, लेकिन जिम्मेदारों का इस दिशा में कोई ध्यान नहीं है।
शहर के वार्ड नंबर तीन और वार्ड नंबर 17 की बात करें तो इसमें शामिल मोहल्ला डालचंद, मोहम्मद फारुख, बेनी चौधरी घनी आबादी मलिन बस्ती क्षेत्र है। पांच हजार से अधिक आबादी रहती है, जिसे अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। धुनों वाला चौराहा से आबादी की तरफ जाने वाली मुख्य सड़क व गलियों में इंटरलॉकिंग सड़क है। जोकि कई सालों से जर्जर है। आलम ये है कि वाहन छोड़िए पैदल निकलते वक्त भी लोग गिर जाते हैं। रात के वक्त रोशनी के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। जिसकी वजह से वाहन सवार गिरकर चोटिल होते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार ई-रिक्शा भी पलट चुके हैं। मोहल्ला मोहम्मद फारुख में मस्जिद के बाहर की तरफ भी सड़क का हाल बदतर है। एक तरफ से सड़क धंस चुकी है। रोजेदार और नमाज पढ़ने जाने वाले लोगों को खतरा बना रहता है।
वार्ड मेंही सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था, वह भी बंद पड़ा रहता है। ठीक इसके बराबर में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। नालियां चोक हो चुकी है। बारिश के दिनों में तो निकलना ही दूभर हो जाता है। मामूली सी बारिश में कई फीट तक जलभराव होता है। उसके ऊपर गंदगी के ढेर से बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। कई बार शिकायतें की गई। मगर, आश्वासन देने के सिवाए कुछ नहीं किया जा सका है।
बिजली का झुका पोल बना हादसे का सबब
वार्ड नंबर तीन की गली में जर्जर और झुका पोल भी हादसे का सबब बना हुआ है। सकरी गली में आबादी के बीच फैली अव्यवस्था को दूर करने की कोई सुध नहीं ले रहा है। जबकि दोनों तरफ धार्मिक स्थल हैं। स्कूली बच्चों के वाहन भी इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं।
सड़क का हाल तो कई सालो से ऐसा ही है। गहरे गड्ढे हो चुके है। पैदल निकलने में भी दिक्कत हो रही है। ये सिर्फ एक गली का नहीं पूरे वार्ड का हाल है। पता नहीं कब सुधार हो सकेगा- जाहिद।
एक तरफ सड़कों की दशा बदहाल है। दूसरा साफ सफाई को लेकर भी कोई पुरसाहाल नहीं है। रात के वक्त अधिकांश लाइट बुझी रहती है। जिससे जर्जर सड़कों पर सफर करने में लोगों को अधिक दिक्कत होती है। कई बार लोग गिर चुके हैं- शोएब खान, एडवोकेट।
मोहल्ले में कूड़े के ढेर और सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। मस्जिद के बाहर की तरफ ही सड़क धंस चुकी है। इसका कई बार स्थानीय लोगों ने ही खुद ठीक कराया, लेकिन जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली। नमाजियों को दिक्कत होती है। हादसे का डर रहता है- तसब्बर।
एक मुद्दत हो गई, जब सड़कें ठीक ठाक देखी थी। करीब एक दशक से तो ऐसा ही हाल बना हुआ है। आए दिन हादसे होते हैं। जलभराव की दिक्कत भी जस की तस है। पता नहीं कब और कैसे सुधार हो सकेगा- नजमा।
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