कानपुर के हैलट अस्पताल में बर्न यूनिट बनकर तैयार, गुणवत्ता पर उठे सवाल; दीवारों पर लगी सीलन

प्राचार्य ने जिलाधिकारी को निर्माण कार्य की जांच कमेटी से कराने के लिए लिखा पत्र

कानपुर के हैलट अस्पताल में बर्न यूनिट बनकर तैयार, गुणवत्ता पर उठे सवाल; दीवारों पर लगी सीलन

कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में बहुप्रतीक्षित बर्न एंड प्लास्टिक यूनिट बनकर तैयार हो गई है। लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांच के बाद ही भवन अपने अधीन लेने की बात कही है। इसकी वजह यूनिट के निरीक्षण में मिली कमियां हैं। प्राचार्य ने 14 बिंदुओं पर रिपोर्ट देकर जिलाधिकारी को भवन की गुणवत्ता जांच के लिए कमेटी गठित करने के लिए पत्र लिखा है। 

हैलट अस्पताल में बीते छह साल से बर्न यूनिट का काम चल रहा था। राजकीय निर्माण निगम को भवन तैयार करने का काम वर्ष 2019 में सौंपा गया था। पिछले पांच माह से राजकीय निर्माण निगम पीडब्ल्यूडी के टेंडर के मुताबिक सभी कार्य पूरे करने के दावों के साथ भवन हैंडओवर करने के लिए प्रयासरत है। लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन बिल्डिंग के निर्माण कार्य से संतुष्ट नहीं है। वह जिलाधिकारी की समिति से बिल्डिंग की क्वालिटी चेक रिपोर्ट लेने के बाद ही भवन नियंत्रण में लेने की बात कह रहा है। 

6.75 करोड़ रुपये हुए थे स्वीकृत 

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हैलट अस्पताल की इमरजेंसी के सामने बर्न एंड प्लास्टिक यूनिट की स्थापना के लिए वर्ष 2017 में 6.75 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की थी। यूनिट का निर्माण कार्य साल 2019 में उप्र राजकीय निर्माण निगम ने शुरू किया था, जिसे जून 2024 में पूरा होना था। 

प्राचार्य को निरीक्षण में मिली थीं खामियां 

राजकीय निर्माण निगम बर्न यूनिट का काम पूरा होने की बात कह रहा है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन के मुताबिक काम अधूरा और गुणवत्तापूर्ण नहीं है। बीते दिनों प्राचार्य प्रो.संजय काला को यूनिट के निरीक्षण में दीवारों पर सीलन मिली थी। खिड़की व दरवाजों का काम मानक के अनुरूप नहीं था।   

53 पद स्वीकृत, उपकरणों के लिए मांगे 10 करोड़ 

हैलट अस्पताल में 26 बेड की बर्न यूनिट के लिए शासन की ओर से 53 पदों की स्वीकृति मिलने के बाद अब उपकरणों के लिए शासन से 10 करोड़ रुपये बजट की मांग की गई है। बर्न यूनिट शुरू होने से आसपास के 18 जिलों के अग्निकांड या अन्य कारणों से जले मरीजों को लाभ मिलेगा। अभी ऐसे घायलों को प्राथमिक उपचार देने के बाद अन्य अस्पतालों में जाने की सलाह दी जाती है।

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