प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में हिंदू वादियों द्वारा दाखिल संशोधन आवेदन को किया स्वीकार

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में हिंदू वादियों द्वारा दाखिल संशोधन आवेदन को किया स्वीकार

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में लंबित संशोधन आवेदनों को पांच हजार रुपए की लागत के साथ अनुमति देते हुए कहा कि संशोधन आवेदनों में कोई नई प्रार्थना नहीं की गई है। संशोधन आवेदन को स्वीकार करने से विपक्षी के हित उस सीमा तक प्रभावित नहीं होंगे, जिसकी भरपाई लागत से न की जा सके। अतः मामले में वास्तविक विवाद में प्रभावी निर्णय के लिए और मुकदमे की बहुलता से बचने के लिए प्रस्तावित संशोधन आवश्यक है, इसलिए विपक्षी संख्या एक को पांच हजार रुपए के भुगतान की शर्त पर वाद में संशोधन की प्रार्थना स्वीकार कर ली गई। 

उक्त आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकलपीठ ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान कटरा केशव देव खेवट नंबर 255 और 7 अन्य द्वारा दाखिल संशोधन आवेदन को स्वीकार करते हुए पारित किया। संशोधन आवेदन मुख्यतः दो मुकदमों (मुकदमा संख्या एक और मुकदमा संख्या 16) में सीपीसी के आदेश 6 नियम 17 के तहत दाखिल किया गया था, जिसमें बताया गया कि उन्हें हाल ही में पता चला है कि संबंधित संपत्ति को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, जिसे 27.12.1920 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया था। चूंकि संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की देखरेख और प्रबंधन के अधीन है, इसलिए उचित निर्णय के लिए एएसआई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाकर शिकायत में संशोधन करना आवश्यक है। 

संशोधन याचिका में नए तथ्य जोड़ने की भी मांग की गई कि औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बना दिया। हालांकि देवता प्रतीकात्मक रूप से संपत्ति के स्वामी हैं, इसलिए वादी ने मस्जिद को मंदिर में परिवर्तित करने की राहत मांगी। संशोधन आवेदन प्रस्तुत करने वाले अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने तर्क दिया कि प्रस्तावित संशोधन वाद में पहले से प्रस्तुत कुछ तथ्यों को स्पष्ट करने का एक प्रयास है, जिससे वादी के दावे को मजबूत किया जा सके। इससे वर्तमान वाद में की गई प्रार्थना में कोई परिवर्तन नहीं होगा। 

दूसरी ओर विपक्षी के अधिवक्ता ने संशोधन आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि सीपीसी के आदेश 6 नियम 17 के तहत मुकदमे में नए पक्षकारों को जोड़ना स्वीकार्य नहीं है, साथ ही संशोधन आवेदन पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत दाखिल आवेदन को खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अपील पर फैसला नहीं सुनाया जाता है। इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि 1920 की अधिसूचना एक शताब्दी से अधिक समय से सार्वजनिक रूप से प्रचारित है। अतः वादियों द्वारा वर्ष 2024 में इस संबंध में अपनी अनभिज्ञता प्रकट करना आश्चर्यजनक है। बता दें कि प्रस्तावित संशोधन आवेदन पर कुछ हिंदू वादियों जैसे, अधिवक्ता रीना सिंह, एमपी सिंह, अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह और आशुतोष पांडेय ने भी आपत्ति जताई है।

ये भी पढ़ें- Prayagraj : बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में पंजीकरण हेतु साक्षात्कार 29-30 मार्च को प्रस्तावित

ताजा समाचार

मुरादाबाद : 50 बाइक सवारों के लाइसेंस व वाहनों के पंजीकरण हुए निलंबित
मुरादाबाद : 58 लाख के बकाये में सीएल गुप्ता वर्ल्ड स्कूल व निर्यात फर्म के बैंक खाते फ्रीज
कासगंज : पटियाली के हथौड़ा खेड़ा में मकान के विवाद को लेकर दो पक्षों में जमकर मारपीट
मलिहाबाद महिला हत्याकांड : मुख्य आरोपी पुलिस एनकांउटर में ढ़ेर, एक लाख रुपये का था इनामिया हिस्ट्रीशीटर
Kanpur में ट्रेन के आगे कूदा युवक, मौत: 2 दिन पहले भाभी ने घर पर लगाई थी फांसी, परिजन बोले- सदमे में था, जानिए पूरा मामला
Hardoi News : सीतापुर से चोरी हुआ था बच्चा, हरदोई पुलिस ने आंध्र प्रदेश से किया बरामद