समाजवादी साहित्य का शिवपाल यादव ने किया विमोचन, कहा- संकट में है सुभाष और शेर अली की साझा विरासत

लखनऊ, अमृत विचार। नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहीद शेर अली की साझा विरासत की मजबूती के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों को वैचारिक आधार देने के लिए समाजवादी चिंतक दीपक मिश्र द्वारा लिखित मंतव्य पत्र और सुभाष संबंधी समाजवादी साहित्य का विमोचन करते हुए वरिष्ठ समाजवादी नेता व सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहीद शेर अली की साझा विरासत संकट में है। आजादी की लड़ाई हमारे राष्ट्रनायकों ने एक होकर लड़ी, हिंदुओं और मुसलमानों में फूट के बीज अंग्रेजों ने डाला था। राष्ट्रवाद का नाम लेकर कुछ लोग सांप्रदायिकता का जहर बो रहे हैं, हमें उनके विरुद्ध अभियान चला कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना होगा।
राष्ट्रवाद और सांप्रदायिकता में बहुत अंतर है, भारतीय राष्ट्रवाद का चरित्र समावेशी है जबकि सांप्रदायिकता की बुनियाद नफरत व वर्गीय विभेद है। उदारता बनाम कट्टरता की वैचारिक लड़ाई में हम कमजोर नहीं पड़ने देंगे। सुभाष दा ने ठीक कहा था कि गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी जैसी राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान केवल समाजवादी आधार पर ही संभव है। शेर अली, अशफाक उल्ला खान, रहीम, रसखान, मलिक मोहम्मद जायसी, वीर अब्दुल हमीद, अब्दुल कलाम जैसे महान मुस्लिम महामानवों के योगदान पर व्यापक विमर्श जरूरी है। एकांगी बहसों से देश का नुकसान हो रहा है। शहीद शेर अली ने ब्रिटिश हुकूमत के तत्कालीन वायसराय लार्ड मेयो की हत्या कर अत्याचार का बदला लिया था।
समाजवादी चिंतक और बौद्धिक सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने कहा कि सुभाष ने भारत में समाजवादी गणतंत्र का स्वप्न देखा था, जो आज भी अधूरा है। सांप्रदायिकता का अंत केवल समाजवाद से संभव है। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी जार्ज फर्नांडिस के सहयोगी रहे शैलेश अस्थाना ने की, जिसमें अरुण कुमार, लुआक्ता अध्यक्ष प्रो. मनोज पांडे, प्रो. अंशु केडिया, प्राचार्य प्रो. दिलशाद, प्रो. रामजी पाठक, नागा चौधरी, राजेश अग्रवाल, अंबुज राय आदि ने विचार व्यक्त किया। इसके बाद पूर्व घोषित नेताजी सुभाष - शेर अली पखवाड़ा के तहत दीपक मिश्र और राजेश अग्रवाल अंडमान-निकोबार के लिए रवाना हो गए।