इंटरपोल को लिखा पत्र, फर्जी डोमेन नेम और ईमेल की मांगी जानकारी; Kanpur में HAL से 55 लाख की साइबर ठगी का मामला...  

इंटरपोल को लिखा पत्र, फर्जी डोमेन नेम और ईमेल की मांगी जानकारी; Kanpur में HAL से 55 लाख की साइबर ठगी का मामला...  

कानपुर, अमृत विचार। एचएएल से हुई 55.13 लाख रुपये की साइबर ठगी की बड़ी घटना में एजेंसी समेत साइबर क्राइम की टीम और विशेषज्ञ तेजी से जांच में जुट गई है। सबसे पहले इस घटना में अमेरिका में बैठे ठगों को पकड़ने के लिए मददगारों की तलाश कर रही है। अभी तक की जांच में यह सामने आया है, कि एचएएल और यूएसए की कंपनी के बीच बातचीच खत्म हुई तो साइबर अपराधी ने फर्जी ईमेल के सहारे बातचीत शुरू कर धोखाधड़ी का खेल किया।

सोमवार को साइबर क्राइम मुख्यालय ने घटना से जुड़े दस्तावेज हासिल करने के लिए इंटरपोल को पत्र लिखा। वहीं कमिश्नरेट पुलिस ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से फर्जी डोमेन नेम और फर्जी ईमेल बनाने वाले की डिटेल और एचएएल व अमेरिका की कंपनी से ईमेल के संबंध में जानकारी मांगी। तीन दिन पूर्व एचएएल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिवीजन के अपर महाप्रबंधक अशोक कुमार सिंह ने साइबर थाने में 55.13 लाख रुपये की ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 

उन्होंने बताया था कि कंपनी विभिन्न प्रकार के परिवहन वायुयान का उत्पादन, ओवरहालिंग और सर्विसिंग करती है। कई पार्ट्स का आयात किया जाता है। इसमें डोर्नियर समेत अन्य लड़ाकू विमान भी शामिल हैं। कंपनी की तरफ से मैसर्स पीएस इंजीनियरिंग इनकारपोरेटेड को एकल निवादा से फर्म की पंजीकृत ईमेल आइडी पर तीन मई 2024 को तीन पार्ट्स की कोटेशन का आग्रह किया गया था। 

इस बीच साइबर अपराधियों ने फर्जी ईमेल आईडी में ई एल्फाबेट का हेरफेर कर रुपये अपने खाते में जमा करा लिए। एचएएल के अधिकारियों ने जब पार्ट्स की डिलीवरी न होने पर कंपनी से बातचीत की तो पता चला कि उनके खाते में रकम ट्रांसफर ही नहीं हुई। 

उन्होंने देखा तो जिस मेल से बातचीत हो रही थी, वह फर्जी थी। पेमेंट के लिए जो अकाउंट लिंक भेजा वह भी फर्जी था। इस संबंध में एडीसीपी अंजलि विश्वकर्मा के अनुसार जांच में सामने आया कि साजिश अमेरिका से रची गई है, इसकी जांच चल रही है। 

ई मेल आईडी से हुई बातचीत में रहा ई का अंतर

अमेरिका की फर्म ने निविदा अनुभाग में ईमेल के माध्यम कोटेशन भेजी। उसकी खरीद आदेश विक्रेता कंपनी को ईमेल (gledbetter@ps-engineering.com) के जरिए शुरू हो गया। दोनों ओर से ईमेल का आदान प्रदान हुआ। बीच में साइबर अपराधियों ने कंपनी की ईमेल आईडी से मिलती जुलती (gledbetter@ps-enginering.com) बनाई और इसी ईमेल के जरिए कंपनी के अधिकारियों से बात करना शुरू कर दी। 

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