अयोध्या : "एक शाम कुरआन के नाम" में तमाम मौलाना ने पेश की तकरीर

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अयोध्या, अमृत विचार: माहे रमज़ान में कुरआनी बरकतों से फ़ैज़ियाब होने के लिए "एक शाम कुरआन के नाम" मस्जिद इरशादिया में आयोजित किया गया। कुरआन मजीद से प्रसिद्ध कारीए कुरआन मौलाना एजाज़ हुसैन कश्मीरी ने  सूरह मोमिनून की तिलावत की।मेहमान शायर जनाब फसाहत जौनपुरी ने नात पढ़ी, जिसमें उन्होंने पैगंबर मोहम्मद (स०अ०) की शान में अपने अशआर पढ़कर महफिल में रंग बिखेर दिए। 

कारी एजाज़ कश्मीरी ने फिर से सूरह हशर की कुछ आयतों की शानदार तिलावत की, जिसे सुनकर सभी हाज़रीन ने 'सुब्हानअल्लाह' के नारे लगाए। नौजवान नाज़िम अली ज़ीशान ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मस्जिद इरशादिया के इमाम-ए-जमात जनाब मौलाना मोहम्मद अली इलाहंदी को दावत-ए-ख़ुतबा दिया। मौलाना इलाहंदी ने अपनी तकरीर में कुरआन पाक की अहमियत पर रौशनी डाली और कहा कि 14 सदियों से कुरआन मजीद पर कोई पुराना पन नहीं आई है।  
इससे पहले, रुदौली के नौजवान मद्दाह अली शावेज़ ने इमाम हसन मुजतबा (अ०स०) की शान में खूबसूरत अशआर पढ़े, जिन पर हाज़रीन ने काफी दाद दी।  

रुदौली के इमाम जुमा मौलाना सरफराज़ हुसैन ने हदीस की रौशनी में कुरआन पाक की तिलावत की अहमियत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति सौ दो सौ आयतें पढ़ने में कठिनाई महसूस करता है, तो उसे इस माहे रमज़ान के मौके पर एक आयत पढ़कर पूरे कुरआन की तिलावत का सवाब मिल सकता है। मेहमान शायर फसाहत जौनपुरी और मौलाना एजाज़ हुसैन ने अपनी दिलकश आवाज़ से माहौल को संजीवनी दी, जिससे कार्यक्रम में नारे-ए-तकबीर, नारे-ए-रिसालत और नारे-ए-हैदरी की आवाजें गूंज उठीं।

मौलाना सय्यद हैदर अब्बास रिज़वी ने कुरआन पाक की प्रसिद्ध आयत पढ़ी। मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी ने कहा कि आज जबकि बहुत से धर्मों की मुकद्दस किताबें उनके अनुयायियों तक नहीं पहुंचतीं, उस वक्त अल्लाह का करम है कि उसने उम्मत मुस्लिम को कुरआन पाक जैसी अज़ीम नेअमत से नवाज़ा। मौलाना सय्यद हैदर अब्बास रिज़वी ने कहा कि रुदौली के लोग इस कार्यक्रम को भविष्य में एक बड़े स्तर पर आयोजित करें और सभी धर्मों के लोगों को इसमें भाग लेने का आमंत्रण दें ताकि दुश्मनों की साजिशों को नाकाम किया जा सके। आयोजक ताज रुदोलवी ने कहा कि कुरआन मजीद हमें जोड़ने का काम कर सकता है।  

मौलाना सय्यद हैदर अब्बास ने यह भी कहा कि जो चीज़ें आज विज्ञान साबित कर रहा है, उसे कुरआन पाक ने सदियों पहले बयान किया था। कार्यक्रम का समापन दुनिया भर के मज़लूमों की सलामती, मानवता के दुश्मनों की नाकामी और देश में अमन की बहाली की दुआ के साथ हुआ।  इस अवसर पर, मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी ने 'नहज-ए-बलाग़ा' का एक सुंदर संस्करण 'इदारा इल्म व दानिश' से प्रकाशित किया गया इर्शाद मंज़िल की लाइब्रेरी सहित अन्य मेहमानों को प्रस्तुत किया।  कार्यक्रम में उपस्थित लोग, जिनमें मास्टर शमीम हुसैन, डॉक्टर क़मक़ाम अली, चौधरी अकबर मेहदी औन, डॉक्टर अख्तर रज़ा, क़ारिब क़रनी, चौधरी मक्की मियां, साबिक़ एमएलए और मंत्री अब्बास अली ज़ैदी रशदी मियां, डॉक्टर सैयद नज़ीर अब्बास के अलावा इलाहाबाद, लखनऊ, ऊंचाहार रायबरेली, शहर फ़ैजाबाद, भदरसा, सीबार के लोग शामिल हुए।

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