Bareilly: ग्रेड पे पर फिर फंसा मामला, डीडीओ की भेजी फाइल कोषागार विभाग में खारिज
सेवानिवृत्त उर्दू अनुवादक को 4600 ग्रेड-पे के अनुरूप की थी पेंशन भुगतान की संस्तुति

बरेली, अमृत विचार। विकास विभाग के उर्दू अनुवादकों को फिर झटका लगा है। विकास विभाग के सेवानिवृत्त उर्दू अनुवादक को तीसरी एसीपी के अनुरूप 4600 के ग्रेड पे के हिसाब से पेंशन स्वीकृति के लिए डीडीओ की ओर से भेजी गई फाइल को कोषागार विभाग ने खारिज कर दिया है। नियुक्ति प्राधिकारी से ये जवाब भी मांगा है कि 4600 का ग्रेड पे क्यों दिया जाए।
पिछले साल दिसंबर में कृषि एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी की जांच में विकास विभाग के पांच उर्दू अनुवादकों को गलत तरीके से 4200 की जगह 4600 रुपये के ग्रेड पे के तहत तीसरी एसीपी का लाभ देने का मामला सामने आया था। इस प्रकरण में नियुक्ति प्राधिकारी और विकास भवन के प्रशासनिक अधिकारी समेत कई अफसर रडार पर हैं। इसके बावजूद हाल ही में डीडीओ की ओर से विकास विभाग के सेवानिवृत्त उर्दू अनुवादक इंतसाब हैदर की 4600 के ग्रेड पे के हिसाब से पेंशन स्वीकृति के लिए फाइल भेजी गई थी जिसे संयुक्त निदेशक कोषागार एवं पेंशन विनोद कुमार ने खारिज कर दिया।
संयुक्त निदेशक ने अपने आदेश में कहा है कि उर्दू अनुवादक की नियुक्ति मार्च 1995 में हुई थी। 26 वर्ष की सेवा के उपरांत तीसरी एसीपी की स्वीकृति कर वेतन निर्धारित किया जाना त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है। सेवानिवृत्त अनुवादक की फाइल खारिज होने के बाद बाकी उर्दू अनुवादकों का टेंशन बढ़ गया है। बता दें कि 4600 ग्रेड पे के हिसाब से उर्दू अनुवादकों को भुगतान के मामलों में पहले ही कई जिलों में रिकवरी की जा रही है। इधर, इस मामले में डीडीओ और सीडीओ से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।
आरईडी वालों से शुरू हो चुकी है रिकवरी
ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईडी) बरेली और बदायूं में तीन उर्दू अनुवादकों को शासनादेश के खिलाफ एक अतिरिक्त एसीपी (वित्तीय स्तरोन्नयन) का लाभ देने का मामला दिसंबर में सामने आया था। दो साल से वे 4200 के बजाय 4600 का ग्रेड पे ले रहे थे। तीनों से अक्टूबर 2022 से दिसंबर तक दिए अतिरिक्त वेतन और भत्तों की वसूली की जा रही है। बरेली और बदायूं में तैनात एक महिला उर्दू अनुवादक सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। तत्कालीन एसई ने तीनों उर्दू अनुवादकों को तीसरी एसीपी का लाभ देना अवैध बताया था। एक अनुवादक ने प्रत्यावेदन दिया लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया था।