भूकंप सुरक्षा में आर्किटेक्ट्स को भी शामिल करें: कानपुर आईआईटी में विशेषज्ञों ने दिया सुझाव, बोले- 'हमें भूकंप नहीं, इमारतें मारती हैं'

भूकंप सुरक्षा में आर्किटेक्ट्स को भी शामिल करें: कानपुर आईआईटी में विशेषज्ञों ने दिया सुझाव, बोले- 'हमें भूकंप नहीं, इमारतें मारती हैं'

कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी में हुई नेशनल इनफार्मेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग  कार्यशाला का मुख्य विषय टीचिंग अर्थक्वेक रेजिस्टेंट स्ट्रक्चर इन अंडरग्रेजुएट आर्किटेक्चर डिजाइन स्टूडियो रहा। कार्यशाला में कहा गया कि हमें भूकंप नहीं, बल्कि इमारतें मारती हैं। प्रो. सुधीर के जैन, प्रो.सीवीआर मूर्ति, प्रो.जावेद एन मलिक और प्रो.दुर्गेश सी राय ने कहा कि इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी संरचनाओं के निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि भूकंप सुरक्षा में आर्किटेक्ट्स को प्रमुख हितधारकों के रूप में शामिल किया जाए।

आईआईटी के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रो.जावेद एन मलिक ने कार्याशाला में भूकंप इंजीनियरिंग के महत्व बताए। प्रतिभागियों को स्नातक पाठ्यक्रम में भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए जरूरी ज्ञान व कौशल प्रदान किया गया। प्रतिभागियों ने  वास्तुकला परियोजनाओं में भूकंपरोधी रणनीतियों का इस्तेमाल करने के बारे में विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। शिवपुर आईआईईएसटी की प्रो. केया मित्रा ने संकाय नेटवर्क को व्यापक बनाने में नेशनल इनफार्मेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग की भूमिका पर जोर दिया। 

प्रो. चिन्मय कोले ने प्रतिभागियों को देश में आए पिछले भूकंपों पर चर्चा की, जिसके कारण नेशनल इनफार्मेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग की स्थापना हुई। देश भर के आर्किटेक्चर कार्यक्रमों के संकाय सदस्यों ने एकत्र होकर भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन के लिए शिक्षण पद्धतियों को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। कार्यशाला में प्रो. वसुधा गोखले, प्रो. मीरा शिरोलकर, प्रो.भावना विमावाला, प्रो.रुचिरा दास, प्रो.अतनु कुमार दत्ता शामिल रहे। 

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