मजबूरी, मोहब्बत, खूबसूरती में बन गईं दस्यु सुंदरी: इनके भी आंतक से थर्राया बीहड़
नर्तकी पुतली बाई को डाकू सुल्ताना से हुआ प्यार तो उसने भी उठा ली बंदूक और बन गई डकैत

कानपुर, (शैलेश अवस्थी)। कई साल तक डकैत विक्रम मल्लाह और राम आसरे फक्कड़ गिरोह में रही खूंखार डकैत कुसुमा नाइन लखनऊ के अस्पताल में दम तोड़ने से पहले जेल में कैदियों को रामायण और गीता पर प्रवचन देती थी। कुसुमा की ही तरह बीहड़ में मजबूरी, मोहब्बत और खूबसूरती के कारण अनेक युवतियां आतंक का पर्याय बनकर दस्यु सुंदरियां कहलाती रही हैं। ऐसी कई महिला डकैत मारी गईं या फिर समर्पण कर दिया।
इटावा, औरैया, जालौन और ग्वालियर से जुड़े बीहड़ों में अब भी महिला डकैतों की कहानियां लोक कथाओं की तरह सुनाई जाती हैं। इन्हीं में चंबल में पहली महिला डकैत हुई पुतलीबाई, जिसकी खूबसूरती पर तब के खूंखार डकैत सुल्ताना का दिल आ गया था। 1926 में मुरैना में जन्मी पुतलीबाई का नाम गौहरबानो था।
डाकू सुल्ताना आगरा में गौहर का नृत्य देखने गया और उसकी खूबसूरती पर फिदा होकर उसे उठा लाया। 1955 में सुल्ताना मारा गया फिर गैंग की कमान पुतलीबाई ने संभाल ली। मुखबिरी के शक में पुतलीबाई ने दतिया में 11 लोगों को मार डाला और इसके बाद 1958 में कुंवारी नदी पार करते वक्त पुलिस ने उसे मुठभेड़ में ढेर कर दिया। पुतली की तरह चंचल पुतली पूरा श्रृंगार करके घोड़े पर चढ़कर डकैती डालने जाती थी।
1977-78 में डकैत बाबू गुर्जर ने फूलन का अपहरण किया फिर वह चंबल की होकर रह गई। बाबू की मौत के बाद विक्रम मल्लाह फूलन देवी को लेकर गैंग से अलग हुआ और मल्लाहों का गैंग बना लिया। विक्रम मारा गया तो फूलन सरगना बन गई। बेहमई में 22 ठाकुरों की हत्या कर दी। 1983 में फूलन ने समर्पण कर दिया।
जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद दो बार सपा से सांसद बनी। 2001 में दिल्ली में उसकी हत्या कर दी गई। डकैत लालाराम फिर फक्कड़ गिरोह की सबसे खूंखार रही सीमा परिहार ने वर्ष 2000 में समर्पण करने के बाद बिग बॉस जैसे शो में भी नजर आई। खूबसूरत प्रभा कटियार भी लालाराम गिरोह से जुड़कर अपने जाल में लोगों को फंसाती और उन्हें अगवा कर डकैतों के पास पहुंचा देती।
1998 के आसपास उसने कानपुर में कल्याणपुर निवासी रिटायर कृषि अधिकारी का अपहरण किया था। डाकू सलीम गुर्जर ने मुखबिरी के शक में इटावा के चौकीदार देवीचरण के घर धावा बोला और वहां उसकी बेटी सुरेखा को देखा तो उसे ही उठा ले गया और चंबल में रहते उसे वहीं का जीवन रास आने लगा फिर गैंग की सक्रिय सदस्य बन गई। उस पर कई मामले दर्ज हुए। सलीम मारा गया तो सुरेखा ने समर्पण कर दिया। अब वह गांव में सीदा-सादा जीवन बिता रही है।
बीहड़ के गांव जमाली की रेनू यादव को 29 नवम्बर 2003 को डाकू चंदन उठा ले गया फिर वह भी डाकू बन गई। चंदन यादव मारा गया तो रेनू ने 2005 में पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। जालौन की शीला का 1980 के दशक में खासा आतंक था। उस पर कई मामले दर्ज थे।
खूबसूरत होनेके कारण वह डकैतों की नजर में चढ़ गई। रज्जन गुर्जर गिरोह की खूबसूरत लवली पर भी कई मामले दर्ज हुए। निर्भय गुर्जर गिरोह की नीलम गुप्ता और सरला जाटव भी 2000 से 2006 तक चर्चा में रहीं। कुसुमा नाइन, सीमा परिहार और फूलन के बाद जिसने भी महिला डकैत का तमगा पाया, वह कभी गैंग लीडर नहीं बन सकी।
किसी को डकैत मनोरंजन तो किसी को फिरौती के लिए उठा लाये फिर उन्हें गिरोह में शामिल कर लिया। गैंग के साथ थीं तो उन पर भी मुकदमे होते गए। ज्यादातर महिला डकैत मजबूरी में डकैतों के चंगुल में फंसी और बाद में दस्यु सुंदरी कहलाने लगी।