बरेली के इस मंदिर में क्यों लेटे हैं पवन पुत्र हनुमान? वजह जानकर याद आएगी पौराणिक कथा...

रामगंगा नदी के किनारे पर है कई साल पुराना मंदिर

बरेली के इस मंदिर में क्यों लेटे हैं पवन पुत्र हनुमान? वजह जानकर याद आएगी पौराणिक कथा...

बरेली, अमृत विचार। बरेली में भी रामगंगा नदी के किनारे प्रयागराज की तरह लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है। किंवदंती है कि लक्ष्मण के मूर्छित होने पर जब हनुमान जी जड़ी-बूटी लेने हिमालय गये थे, तब वह सुस्ताने के लिए यहां लेटे थे। उनके एक हाथ में जड़ी-बूटी वाला पहाड़ भी है। मकर संक्रांति पर लोगों ने हनुमान मंदिर में शीश झुकाया।

मंदिर के महंत सोबरन दास ने बताया कि मंदिर 200 साल पुराना है। पहले यहां संत झाऊ दास की मढ़ी हुआ करती थी। उनके बाद उनके चेले जगन्नाथ और फिर उनके बाद चार और शिष्यों ने मंदिर की सेवा की। वह 2010 से मंदिर की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब किसी भक्त को हनुमान जी बुलाते हैं, तब ही वह यहां आते हैं।

उन्होंने कहा कि शहर में तमाम लोगों को भी जानकारी नहीं है कि उनके शहर में भी प्रयागराज जैसा ही सिद्ध लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है। मंदिर में प्रवेश करते ही यज्ञशाला और वेदियां बनी हैं। मंदिर में कई साल पुराना पीपल और बरगद का पेड़ है। यहीं पर गर्भगृह है। गर्भगृह के ऊपर से ही हनुमान जी के दर्शन होते हैं। भीड़ नहीं होने पर भक्त गर्भगृह में प्रवेश कर मंदिर में जाते हैं। मंदिर में राम और सीता की पुरानी पत्थर की मूर्ति भी है। इसके अलावा संत झाऊ दास की मूर्ति भी रखी है। शहर से 10-15 किलोमीटर की दूरी की वजह से कम ही भक्त आते हैं। हालांकि धीरे-धीरे लेटे हनुमान जी मंदिर की ख्याति फैल रही है। आगरा और मथुरा की तरफ से आने वाले लोग मंदिर में दर्शन कर मनौती मांगकर जाते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए धनराशि मंजूर की लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ।

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