बरेली : सड़कों में दम नहीं, पर अफसरों को गम नहीं

पांच साल गारंटी पीरियड वाली सड़कें आधा समय भी नहीं कर पा रहीं पूरा, फिर भी ठेकेदारों से कोई जवाबतलबी नहीं

बरेली : सड़कों में दम नहीं, पर अफसरों को गम नहीं

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम की सड़कों का गारंटी पीरियड पांच साल का होता है लेकिन लाखों से बनी ज्यादातर सड़कें साल या दो साल भी नहीं चलतीं। शहर में तमाम ऐसी सड़कों पर लोग ठोकरें खा रहे हैं जो बनने के कुछ समय बाद ही उखड़ गईं। नगर निगम के अफसर इन्हें बनाने वाले ठेकेदारों पर तो कोई कार्रवाई कर नहीं रहे, उल्टे परेशान लोगों को पांच साल की मियाद पूरी होने के बाद दोबारा सड़कों का निर्माण कराने का वादा कर टाल रहे हैं।

नगर निगम हर साल अलग-अलग मदों में करोड़ों की लागत से सड़कों का निर्माण कराता है। टेंडर की प्रमुख शर्त होती है कि अगर पांच साल के अंदर सड़क टूटी तो ठेकेदार को उसका दोबारा निर्माण कराना पड़ेगा लेकिन नगर निगम में एक भी मामला ऐसा नहीं है, जब इस शर्त का पालन किया गया हो। कारण यह है कि ठेका हथियाने की होड़ में ठेकेदार पहले न्यूनतम रेट पर टेंडर डालते हैं, फिर कमीशन देने के साथ खुद भी अंधाधुंध मुनाफा कमाते हैं। इसी खेल में निर्माण कार्य की गुणवत्ता धरी रह जाती है।

सिकलापुर वार्ड में वर्ष 2022 में करीब 15 लाख की लागत से 170 मीटर लंबी आरसीसी सड़क का निर्माण कराया गया था। इलाके के लोगों के मुताबिक पिछले साल ही इस सड़क पर गिट्टी उखड़ने लगी। अब सड़क का बुरा हाल हो गया है। पार्षद जयप्रकाश राजपूत ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर इसकी शिकायत भी की है।

वार्ड 75 के एजाजनगर गौंटिया में आकाशपुरम रोड का निर्माण भी 2022 में करीब 17 लाख से कराया गया था। दो टुकड़ों बनी ये सड़क भी टूट गई है। हाल ही में पार्षद प्रतिनिधि सादिक ने एस्टीमेट तैयार कराया तो अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए। कहा, सड़क बने पांच साल नहीं हुए हैं, इसलिए प्रस्ताव मंजूर नहीं हो सकता।

वार्ड 11 के कटरा चांद खां में एक सड़क 2020 में 14 वें वित्त की राशि से मौर्य मंदिर तक बनी थी जो अब गड्ढों से भर गई है। इसी वार्ड में पीलीभीत बाईपास से जुड़ने वाली एक और सड़क बनी है, उस पर भी गड्ढे हो गए हैं। कई जगह उसकी गिट्टी उखड़ चुकी है। लोग दिक्कतें झेल रहे हैं लेकिन अफसर सुनने को तैयार नहीं हैं।

जांच में पकड़े गए हैं कई घटिया निर्माण कार्य
नगर निगम की ओर से कराए जा रहे तमाम निर्माण कार्य अब भी घटिया ढंग से कराए जा रहे हैं। नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने खुद कई निर्माणाधीन कार्यों की जांच की तो गोलमाल पाया। कहीं पीली ईंट से निर्माण कार्य किया जा रहा था तो कहीं मलबा डालकर सड़क बनाई जा रही थी। नगर आयुक्त ने ठेकेदारों को नोटिस देने के साथ कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया लेकिन हाल नहीं सुधरा।

जो सड़कें पांच साल के भीतर टूटी गई हैं, इनके बारे में जानकारी मांगी गई है। इसके बाद ठेकेदारों को पहले नोटिस जारी किए जाएंगे। फिर सख्त कार्रवाई की जाएगी। - संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त

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