Lohri 2025: लोहड़ी पर गूंजा, सुंदर मुंदरिए हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, कानपुर में नए शादी शुदा जोड़ों ने नृत्य कर मनाया जश्न...

आग के फेरे लिए, मूंगफली, पॉपकॉन आग में डाले

Lohri 2025: लोहड़ी पर गूंजा, सुंदर मुंदरिए हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, कानपुर में नए शादी शुदा जोड़ों ने नृत्य कर मनाया जश्न...

कानपुर, अमृत विचार। सुंदर-मुंदरिए हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, तेरा कौन विचारा हो, दूल्हे दी धी ब्याह हो, सेर शर्करा पेयी हो... विभिन्न क्षेत्रों में लोहड़ी पर नए शादी शुदा जोड़ों ने यह गीत गाते हुए आग के चारों ओर नृत्य किया। मूंगफली और पॉपकॉन आग को समर्पित किया। 

सोमवार को गुरुद्वारा बाबा नामदेव जी किदवई नगर में लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर जरूरतमंदों को कंबल, रजाई, लोई आदि का वितरण किया गया। देर शाम गुरुद्वारा के बाहर आग के समक्ष महिलाओं एवं पुरुषों ने नृत्य किया। जोड़ों ने बड़ों से आर्शीवाद लिया। 

गुरुद्वारा के प्रधान सरदार नीतू सिंह, रविंदर सिंह रिंकू, नवीन अरोड़ा, हरविंदर पाल सिह, सतनाम सिंह सूरी, गुरदीप सिंह, पम्मी छाबड़ा, हरदयाल सिंह राजेंदर काके आदि थे। इसी प्रकार जेके मंदिर, गुमटी नंबर पांच, साकेत नगर, गोविंद नगर, लेबर कालोनी, लाल बंगला, हरजिंदर नगर समेत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लोहड़ी का त्योहार धूम-धाम से मनाया गया।  

Lohri 2025 1

मुगलों की क्रूरता से जुड़ी है लोहड़ी  

दुल्ला भट्टी वाला हो, ये लोककथा दुल्ला भट्टी की है, जो मुगलों के समय में एक बहादुर योद्धा था। उसने मुगलों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ कदम उठाया। मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता है। लोहड़ी के सभी गाने दुल्ला भट्टी से से जुड़े हैं। कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी मध्यकाल का एक वीर था जो मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 

उस समय लड़कियों को गुलामी के लिए बलपूर्वक अमीर लोगों को बेचा जाता था। बताते हैं कि दो लड़कियों की सगाई तय हुई लेकिन मुगल शासक के भय से उनके ससुराल वाले इस विवाह के लिए तैयार नहीं थे। एसे में दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत इस मुसीबत की घड़ी में लड़के वालों को मनाकर एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों की शादी हिंदू लड़कों से करवाई और खुद उन दोनों लड़कियों का कन्यादान किया। 

शगुन के तौर पर उनको शक्कर दी थी। एक मान्यता ये भी है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ये आग जलाई जाती है। इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को मां के घर से त्योहार (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फला आदि) भेजा जाता है।

ये भी पढ़ें- Kanpur: एपी फैनी कंपाउंड में कब्जे की विवेचना करेगी SIT, मामले में पांच आरोपियों की तलाश जारी