हल्द्वानी में उतरी पहाड़ की संस्कृति, देवभूमि की संस्कृति छोलिया संग थिरकी
अमृत विचार, हल्द्वानी। उत्तरायणी का त्योहार के दौरान कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें अलग-अलग सुंदर झाकियां देखने को मिली। शोभा यात्रा में छोलिया नृत्य ढोल-दमाऊ और कुमाऊं की संस्कृति देखने को मिली। इस शोभा यात्रा में आमजन इकट्ठा हुए और अपनी संस्कृति को शोभा यात्रा में झांकियों के रूप में दर्शाया।
शोभा यात्रा दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से हीरानगर उत्थान मंच से निकली और तिकोनिया चौराहे से वापस 5 बजे उत्थान मंच में वापस पहुंची। शोभा यात्रा में महिलाओं ने पहाड़ी वेशभूषा के साथ जमकर नृत्य भी किया। साथ ही कुमाऊं की लोक संस्कृति, परंपरा व रहन-सहन की मनमोहक झांकियां प्रस्तुत की गई। साथ ही ढोल-दमाऊं की थाप पर छोलिया नृत्य करते कलाकार और बाबा नीम करोली धाम की झांकी आकर्षण का केंद्र रहे। इसमें शामिल झांकियां और पारंपरिक वेशभूषा में थिरकते कलाकारों ने शहर की सड़कों पर उत्तराखंड की संस्कृति के दर्शन करा दिए। बैंड के साथ गूंजती पर्वतीय वाद्य यंत्रों की धुन और नृत्य करती पहाड़ की महिलाओं ने शोभा यात्रा में चार चांद लगा दिए। शोभायात्रा हीरानगर उत्थान मंच से निकली और कालाढूंगी रोड होते हुए तिकोनिया चौराहा तक गई। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। हर साल उत्थान मंच की इस शोभा यात्रा में करीब से 20 से 20 झांकियां निकलती थी।
शोभायात्रा में एक दर्जन झांकियां
हल्द्वानी। शोभायात्रा में करीब एक दर्जन से ज्यादा झांकियां थी। चुनाव की वजह से झाकियों की संख्या इस बार कम रही। पूरी शोभायात्रा में हजारों लोग शामिल रहे। जिसमें महिला, पुरुष और बच्चे सभी दिखे। शोभा यात्रा का स्वागत करने के लिए रास्ते में जगह-जगह स्टॉल लगाए गए थे। इन स्टालों में शोभा यात्रा में शामिल लोगों के लिए चाय पानी की व्यवस्था की गई थी। शोभा यात्रा में शामिल लोगों पर फूल भी बरसाए गए। छोलियाओं के नृत्य ने शोभा यात्रा में समा बांध दिया, लोग मसक बीन की धुन पर भी खूब नाचे।
झांकी में हुए बाबा के दर्शन
हल्द्वानी। उत्तरायणी की शोभा यात्रा में कैंची धाम के बाबा के दर्शन हुए। बाबा की सुंदर झांकियां ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। लोगों ने बाबा की सुंदर झांकी के साथ सेल्फी लेते हुए नजर आए। पहली बार उत्तराणी की इस शोभा यात्रा में बाबा की सुंदर झांकी पहुंची। झांकी में पहुंचे बाबा के भक्त काफी खुश दिखाई दिए। लोगों ने कहा कि नैनीताल जिले की पहचान अब बाबा नीम करौरी महाराज से भी है। यह हमारे लिए गर्व की बात है।
जोहर संस्कृति की दिखी झलक
हल्द्वानी। मेले में जौहर संस्कृति की भी झलक दिखाई दी। जोहार संस्कृति के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सजकर इस मेले में पहुंचे थे। जहां उन्होंने इस मेले में नृत्य भी किया और अपनी संस्कृति के बारे में लोगों को बताया। शोभा यात्रा की सुंदर झांकियों में एक जोहार संस्कृति की भी झांकी रही।
मुनस्यारी के चार बच्चे सबसे प्यारे
हल्द्वानी। झांकी में सीमांत बरपटिया(ज्येष्ठरा) जनजाती उत्थान समिति मदकोट व मुनस्यारी से आए चार छोटे बच्चें मुख्य आकर्षण का केंन्द्र रहे। इन छोटे बच्चों ने पूरी झांकी में शामिल होकर ढोल और दमाऊ बजाया जो मेले में लोगों को खूब पसंद आया। झांकी में शामिल हुए लोगों ने इनकें जमकर फोटो खिचने के साथ-साथ खूब सेल्फी भी ली।
मेले में दिखी पलायन की पीड़ा
हल्द्वानी। पहाड़ के एक बुबु आकर्षण का केंद्र बने। बूबू खाली होते गांव की पीड़ा को लोगों से साझा कर रहे थे। वह कह रहे थे कि आज शहर आबाद हो रहे हैं और गांव वीरान पड़े हैं। लोगों को अपने गांव से भी जुड़ना चाहिए। लोगों ने इसको काफी सराहा। लोगों ने कहा कि यह सही है कि हमारे पहाड़ पलायन की मार झेल रहे हैं। उन्हें अब बचाने की जरूरत है।
मेयर और पार्षद बनने को किसी ने बरसाए फूल तो किसी ने खिलाए गुटके
हल्द्वानी। मेयर और पार्षद बनने के लिए मेले में किसी ने फूल बरसाए तो किसी ने लोगों को जमकर आलू के गुटके खिलाए। साथ ही पैकेट में घुघते भी बाटें। हालांकि मंच से यह घोषणा की गई थी कि कोई भी पार्षद ओर मेयर प्रत्याशी अपने राजनीतिक झंडे-डंडों के साथ शामिल नहीं होगा। ऐसे भी नेताओं ने इसका भी तोड निकाल लिया। पार्षद के प्रत्याशीयों जमकर फूंलो की बारिश होने के साथ-साथ लोगों को खूब पानी और खिचड़ी भी खिलाई।
घरों में बनाए घुघुती
हल्द्वानी। उत्तरायणी पर्व पर घरों में घुघुते बनाए गए। बच्चों के गले में घुघुते की माला डाली गई। साथ ही पूरी व अन्य पकवान बनाए गए। लोगों ने अपनी परंपरा के अनुसार घुघुते बनाए। कई प्रवासी भी त्योहार के दौरान अपने घर लौटकर आए।