विदेशों में खाई जाएंगी उत्तर प्रदेश की फल/सब्जियां, 4 हजार करोड़ की परियोजना तैयार

विदेशों में खाई जाएंगी उत्तर प्रदेश की फल/सब्जियां, 4 हजार करोड़ की परियोजना तैयार

लखनऊ, अमृत विचार: राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के तहत कृषि एवं बागवानी उत्पादों को विकसित देशों में निर्यात करने की तैयारी कर ली है। दरअसल, उत्तर प्रदेश फल एवं सब्जियों का 40 मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन करता है। इसी का संज्ञान लेते हुए जेवर एयरपोर्ट के निकट एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग का क्षेत्र विकसित किया जायेगा, जहां अन्य देशों के उत्पादों के ट्रीटमेंट, टेस्टिंग और पैकेजिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। वहां से कारगो प्लेन के द्वारा बाहर के देशों में एक्सपोर्ट किया जायेगा। कारगो प्लेन से उत्पादों को एक्सपोर्ट करने की व्यवस्था बनाने का देश में उत्तर प्रदेश का पहला प्रयास है। विश्व बैंक की सहायता इस इस योजना को जमीन पर उतारा जाएगा।

अभी तक उत्पादों को जलमार्गों अथवा पैसेंजर प्लेन में सामान (लगेज) के साथ भेजा जाता था। इस योजना में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित संस्थाएं जुड़ रही हैं। वाराणसी में स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट का सेण्टर इसमें पार्टनर के रूप में कार्य कर रहा है। वहीं, फिशरीज सेक्टर को भी योजना में शामिल किया गया है। इस सेक्टर में नई टेक्नोलॉजी को जोड़ते हुए बदलाव किये जायेंगे। इसका असर न केवल प्रदेश की जीडीपी पर पड़ेगा, बल्कि इस सेक्टर से जुड़ी 60 फीसदी आबादी की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। कृषि में नए प्रयोगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

यूपीएग्रीज के तहत विश्व बैंक और राज्य सरकार के बीच समझौता

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को लोकभवन में यूपी एग्रीज परियोजना (उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट) का एग्रीमेंट साइनिंग सेरेमनी का आयोजन किया गया। समझौता ज्ञापन पर राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव और विश्व बैंक की ओर भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने हस्ताक्षर किए।

मुख्य सचिव ने बताया कि यह समझौता-ज्ञापन लगभग 04 हजार करोड़ रुपये की परियोजना के लिए है, जिसमें 03 हजार करोड़ रुपये विश्व बैंक से ऋण के रूप में प्राप्त होंगे। यह ऋण 35 वर्षों में चुकाया जायेगा और लगभग 07 वर्ष का इसमें मोरेटोरियम है। उन्होंने बताया कि, परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 और बुंदेलखंड के 7 जिलों कुल 28 जनपदों में जहां उत्पादकता कम है, लागू की जाएगी। इन जिलों में उत्पादकता को बढ़ाकर राष्ट्रीय औसत तक ले जाने के प्रयास किये जायेंगे।

इस मौके पर प्रमुख सचिव आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स अनुराग यादव सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे, साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत सरकार में आर्थिक मामलों के विभाग में निदेशक सिमरनदीप सिंह, परियोजना के टास्क टीम लीडर विनायक घटाटे आदि भी मौजूद रहे।

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