Sambhal Riots : 1978 के दंगे में ट्रैक्टर से फाटक तोड़ जिंदा जला दिये थे 20 से ज्यादा लोग

1978 के दंगे में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था लाला मुरारी लाल की फड़ में, फड़ में मौजूद लोगों को तेल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया था

Sambhal Riots : 1978 के दंगे में ट्रैक्टर से फाटक तोड़ जिंदा जला दिये थे 20 से ज्यादा लोग

लाला मुरारी के पौत्र नितीश गर्ग ने अमृत विचार से एक्सक्लूसिव बातचीत में बयां किया दंगे का मंजर

भीष्म सिंह देवल,अमृत विचार। देश की आजादी से पहले और बाद में संभल में दर्जनों साम्प्रदायिक दंगे हुए,लेकिन 1978 के दंगे में जो हुआ वह सबसे भयावह और दर्दनाक था। इस साम्प्रदायिक दंगे में मुरारीलाल की फड़ में 20 से ज्यादा हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया। मुरारी लाल के मामा बनवारी लाल की लाश भी नहीं मिली। परिजनों ने घास का पुतला बनाकर उनका अंतिम संस्कार किया। जब दंगा हुआ तो मुरारी लाल के पौत्र नितीश गर्ग की उम्र पन्द्रह साल थी। अमृत विचार से खास बातचीत में नितीश ने खोले 1978 के संभल दंगे को लेकर कई राज ।

अमृत विचार से खास बातचीत में मुरारी लाल के पौत्र नितीश गर्ग ने बताया कि 1978 में हिंदू मुस्लिम दंगा हुआ तो दंगाईयों ने ट्रैक्टर से हमारा फाटक तोड़ दिया और अंदर घुसकर लूटपाट कर दी। फड के अंदर 20-22 लोग जान बचाने के लिए छिपे थे सब को जिंदा जला दिया गया । दंगाईयों ने पेट्रोल डालकर,मारे ट्रक में से डीजल निकाल कर और वहां पड़े टायरों व घास फूस में आग लगाकर सबको जिंदा जला दिया। ट्रक में भी आग लगा दी। हमारा रसोईया हरिद्वारी लाल जिंदा बचकर वापस आया था। रहटौल फतुल्लागंज गांव का रहने वाला था वह। उसने आकर सारी बातें बताईं कि कैसे क्या हुआ।

बताया कि 20-22 लोग तो हमारे यहां फड़ में ही मारे गए और बाकी यहां वहां तमाम लोग मारे गए जो कहीं न कहीं फंस गए। जिनका आज तक पता ही नहीं। नितीश ने बताया कि हमारे पिताजी के मामा थे बनवारी लाल जी, उनकी हत्या हुई उनकी लाश भी नहीं मिली। अंतिम संस्कार के लिए बृजघाट जाकर बस एक पुतला सा बना दिया घास का। उसकी ही शव यात्रा निकाली और फिर उसका ही अंतिम संस्कार कर दिया। नितीश ने बताया कि उस समय मेरी उम्र 15 साल थी। मुझे याद है,माहौल बहुत तनावपूर्ण था। जगह-जगह आग लग रही थी,बाजार गंज तक हम भी गए थे। हमने देखा था कि बाजार में दुकानें जल रही थीं।

डिग्री कालेज के विवाद से से हुई थी दंगे की शुरुआत
नितीश गर्ग ने बताया कि इस दंगे की शुरुआत डिग्री कॉलेज से हुई थी। डिग्री कॉलेज में जो टाइटल बांटे जाते हैं किसी मुस्लिम लड़की को कुछ टाइटल दिया था। उस पर मंजर शफी भड़क गया था। उसका कुछ मेंबरशिप का भी झगड़ा था। एसडीएम साहब से झगड़ कर तहसील से चल दिया। वह रिक्शा पोलरों का नेता था उन्हें लेकर बस पूरे शहर में दंगा फैला दिया। इसके बाद तो हर तरफ चीख पुकार का मंजर था।

दंगे में मौतों के लिए डीएम फरहत अली जिम्मेदार
नितीश ने बताया कि जब संभल में दंगा हो रहा था, पुलिस प्रशासन कोई नहीं था। फरहत अली डीएम था उसने कुछ नहीं किया, उसने पुलिस बुलाई ही नहीं। डीएम फरहत अली ने कुछ नहीं किया। करवाई उसी समय हुई होती या उसके बाद भी हुई होती तो हिंदू पलायन नहीं करते। वह संभल के इतिहास का सबसे बड़ा दंगा था 1978 का। कहा कि अभी योगी सरकार दंगों की जांच करने की बात कर रही है तो यह अच्छी बात है इंसाफ तो मिलना ही चाहिए।

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