डिजिटल विभाजन की चुनौती
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने देश को लचीली अर्थव्यवस्था और लोगों पर केंद्रित शासन के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में अग्रणी राष्ट्र बनाया है। देश में बेहतर प्रशासन और सशक्त नागरिकों का निर्माण हो रहा है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, लेकिन डिजिटल विभाजन एक बड़ी सामाजिक समस्या है। शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल विभाजन को पाटना एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
देश के आधे से अधिक स्कूलों में डिजिटल विभाजन एक जटिल मुद्दा है, जो आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक असमानताओं से जुड़ा है। देश के करीब आधे स्कूल कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा से वंचित हैं। स्कूल बढ़ रहे हैं, परंतु दाखिले कम हो रहे हैं। विद्यार्थियों का बीच में पढ़ाई छोड़ने का आंकड़ा बढ़ रहा है, जो कि चिंताजनक है। डिजिटल विभाजन का मतलब है, इंटरनेट और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) तक पहुंच में असमानता। यह एक ऐसा अंतर है, जो उन लोगों के बीच होता है, जिनके पास इंटरनेट और डिवाइस तक पहुंच है और जिनके पास बहुत सीमित या बिल्कुल भी नहीं है।
डिजिटल विभाजन सभी पीढ़ियों, ग्रामीण और शहरी दोनों समुदायों और कई तरह के उद्योगों और क्षेत्रों को प्रभावित करता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली की रिपोर्ट के मुताबिक समीक्ष्य वर्ष 2023-24 से पहले साल के मुकाबले स्कूल में दाखिलों में 37.5 लाख की कमी आई है, जहां वर्ष 2022-23 में स्कूलों में 25.17 करोड़ विद्यार्थी दर्ज थे, वहीं 2023-24 में यह संख्या घटकर 24.80 करोड़ हो गई है। यह आंकड़ा प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूल स्तर का है। वहीं समीक्ष्य अवधि में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जिनमें छात्राएं, वंचित व कमजोर वर्ग के बच्चे अधिक हैं।
ऐसे में विचार करने की जरूरत है कि शिक्षा को बढ़ावा देने के तमाम प्रयासों, नई शिक्षा नीति लागू होने, अधिक स्कूल खुलने के बावजूद छात्रों के दाखिले में कमी क्यों आ रही है? विडंबना है कि वंचित समाज व कमजोर वर्ग के परिवारों में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे भी हैं, जिनके पास न तो कंप्यूटर है और न ही स्मार्ट फोन। दरअसल उनके सामने जीवनयापन का संघर्ष इतना बड़ा है कि कंप्यूटर व स्मार्ट फोन उनकी प्राथमिकता नहीं बन सकते।
शिक्षा में डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी छात्रों को उनकी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी और डिजिटल संसाधनों तक समान पहुंच प्राप्त हो। डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना, ब्रॉडबैंड पहुंच बढ़ाना और तकनीक की लागत कम करना जरूरी है। ग्रामीण और शहरी भारत के बीच के डिजिटल विभाजन को कम करके ही देश में शत-प्रतिशत डिजिटलीकरण को प्राप्त किया जा सकता है।