नौकरी के साथ करें पार्ट टाइम पीएचडी, भाषा विश्वविद्यालय ने दिया सुनहरा मौका

नौकरी के साथ करें पार्ट टाइम पीएचडी, भाषा विश्वविद्यालय ने दिया सुनहरा मौका

लखनऊ, अमृत विचार: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में शोध छात्र जहां सेना के मेजर हैं तो वहीं यूपीपी के कांस्टेबल भी हैं। विश्वविद्यालय में यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के दिशानिर्देशन में पार्टटाइम पीएचडी की सुविधा शुरू की है। इसके अलावा सेल्फ फाइनेंस पीएचडी भी तकनीकी पाठ्यक्रमों में आरंभ किया गया है। पीएचडी करने के इच्छुक उन लोगों को इससे आसानी हो जाएगी जो सरकारी सेवा में हैं और नियमित पीएचडी नहीं कर पा रहे हैं।

शोध के लिए विभिन्न विभागों से ब्योरा मांगा गया था, जिसमें अबतक करीब 50 सीटों पर रिक्तियों उपलब्ध हो गई है। इसी माह शोध छात्र-छात्राओं का प्रवेश समर्थ पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। जिसमें नियमित, पार्टटाइम और सेल्फ फाईनेंस पीएचडी और इंटनेशनल पीएचडी चार श्रेणियां बनाई गई है। इंटरनेशनल पीएचडी में सिर्फ विदेशी छात्र-छात्राएं हिस्सा ले सकते हैं। गत वर्ष पीएचडी में प्रवेश बाहरी एजेंसी के माध्यम से विश्वविद्यालय ने किया था। लेकिन इस बार प्रदेश सरकार के निर्देशन में समर्थ पोर्टल के माध्यम से ही आवेदन लिए जाएंगे। जिसमें नियमित और पार्टटाइम समेत सभी पाठ्यक्रम शामिल हैं।

इस तरह होगी पार्ट टाइम पीएचडी

समर्थ पोर्टल पर आवेदन के बाद परीक्षा या साक्षात्कार प्रक्रिया के तहत प्रवेश दिया जाएगा। इसमें छात्र-छात्राओं को विकल्प भरने होंगे कि वह कौन सही पीएचडी करना चाहते हैं। आमतौर पर एक प्रोफेसर के अंर्तगत यदि आठ शोधछात्र है तो उनमें से दो पार्ट टाइम के होंगे। आरंभ में छह माह नियमित पाठ्यक्रम पूरा करना होगा जिसके लिए यदि वे सेवारत हैं तो अपने महकमे से अनापत्ति प्रमाण पत्र देना होगा। छह माह बाद उनको पूरे पाठ्यक्रम के दौरान एक सेमेस्टर में अधिकतम दस दिन ही आना होगा।

तकनीक विषयों में सैल्फ फाईनेंस पीएचडी

भाषा विश्वविद्यालय में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पीएचडी के लिए सैल्फ फाईनेंस की भी सुविधा है। इसके लिए भी समर्थ पोर्टल से ही आवेदन करना होगा। सेल्फ फाईनेंस पीएचडी का शुल्क करीब 85 हजार रुपए सालाना है।

शोध के लिए शुल्क

नियमित पीएचडी शुल्क- 25 हजार
पार्टटाइम पीएचडी-55 हजार
सैल्फ फाईनेंस पीएचडी- 85 हजार

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसका सर्कुलर 2016 में ही जारी कर दिया था। उस समय लोग समझ नहीं पाए, हालांकि कुछ विश्वविद्यालयों ने शुरू भी किया। लेकिन 2018 में यूजीसी ने इसे स्पष्ट करते हुए फुलटाइम पीएचडी और पार्टटाइम पीएचडी का सर्कुलर जारी किया। भाषा विश्वविद्यालय में दूसरा वर्ष है, इस महीने प्रवेश होगा। पार्ट टाइम पीएचडी का महत्व भी किसी भी प्रकार से फुलटाइम से कम नहीं है।

प्रो. एहतेशाम अहमद, प्रवेश समन्वयक, भाषा विश्वविद्यालय

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