पड़ोस में अशांति

पड़ोस में अशांति

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ गया है। दोनों देश युद्ध के कगार पर खड़े नजर आ रहे हैं। यदि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है तो इसका असर पूरे क्षेत्र और यूरेशिया में पड़ सकता है। यहां भारत के कई हित जुड़े हैं। इस युद्ध से लाखों लोग प्रभावित होंगे और क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी। युद्ध का असर आतंकवाद पर भी पड़ सकता है।

भारत दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। हालांकि सीमा पर हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद भारत और तालिबान के बीच बातचीत बढ़ी है। काबुल ने भारत को भरोसा दिया है कि उसकी धरती का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने पूर्वी अफगानिस्तान में हवाई हमले किए। इन हमलों में 46 लोग मारे गए। ये हमले बुधवार को हुए। पाकिस्तान का कहना है कि ये हमले आतंकवादियों के खिलाफ थे।

जबकि तालिबान का कहना रहा कि  पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में चार जगहों पर हमले किए। मारे गए लोग शरणार्थी थे। पक्तिका में किए गए हमलों के कुछ दिनों बाद अफगान तालिबान फोर्स ने ऊपरी कुर्रम जिले में कई पाकिस्तानी सीमा चौकियों पर हमले किए हैं, जिसमें शनिवार सुबह एक पाकिस्तानी अर्धसैनिक की मौत हो गई। साथ ही डूरंड रेखा पर आत्मघाती बम विस्फोट, हवाई हमले या सड़क पर लड़ाई की घटनाएं देखी जा रही हैं। यह ‘रेखा’ 1896 में एक समझौते के द्वारा स्वीकार की गई थी। यह रेखा पश्तून जनजातीय क्षेत्र से होकर दक्षिण में बलोचिस्तान से बीच से होकर गुजरती है। इस प्रकार यह रेखा पश्तूनों और बलूचों को दो देशों में बांटते हुए निकलती है। 

भूराजनैतिक तथा भूरणनीति की दृष्टि से डूरण्ड रेखा को विश्व की सबसे खतरनाक सीमा माना जाता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के लिए व्यावहारिक रास्ते पेश करते हैं, जो मध्य एशिया और दक्षिण एशिया को जोड़ सकते हैं। विडंबना है कि नेताओं में राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृष्टि की कमी है।

वास्तव में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ना क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती है। दोनों देशों को इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालना होगा। दोनों देशों को मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए काम करना होगा। दोनों देशों के बीच तनाव को सुलझाने के मद्देनजर नेताओं को दीर्घकालिक समस्याओं को हल करने के लिए साहस दिखाना जरूरी है।

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