Bareilly: टेंशन में डाल देगा राजकीय पक्षी 'सारस' से जुड़ा ये डेटा, वन विभाग की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा
बरेली, अमृत विचार : राजकीय पक्षी सारस के सरंक्षण की तमाम कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं, शीतकालीन सारस गणना में प्रदेश के राजकीय पक्षी की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बरेली वृत्त में एक साल के अंदर सारसों की संख्या 1879 से घटकर महज 1546 रह गई है। यानी एक साल में 333 सारस कम हो गए हैं।
वन विभाग की ओर से साल में दो बार सारस गणना कराई जाती है। हर छह महीने में गर्मी और सर्दी के मौसम में गणना होती है। बीते साल हुई शीतकालीन गणना व इस साल दिसंबर में हुई गणना के तुलनात्मक आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस साल कुल 1546 सारस बरेली वृत्त के तीन जिलों में मिले। बरेली में 350, शाहजहांपुर में सबसे ज्यादा 1050 और बदायूं में 146 सारस चिह्नित किए गए।
पीलीभीत वृत्त के तहत पीलीभीत सामाजिक वानिकी में 103 और टाइगर रिजर्व में राजकीय पक्षियों की उपस्थिति शून्य है। शाहजहांपुर में भले ही पूरे वृत्त और जोन में सबसे ज्यादा सारस मिले हों लेकिन सबसे ज्यादा गिरावट भी यहीं दर्ज की गई है। बीते साल यहां 1410 सारस मिले थे। इस साल ये संख्या घटकर 1050 रह गई। बरेली जिले में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली। गत वर्ष यहां 342 सारस मिले थे, इस साल 350 सारस मिले हैं।
पूरे रुहेलखंड जोन में घटा सारस का कुनबा
पूरे रुहेलखंड जोन में भी सारस का कुनबा घटा है। जोन में गत वर्ष जहां 2233 राजकीय पक्षी चिह्नित किए गए थे, मगर इस साल ये संख्या घटकर 1924 रह गई है। ये कमी बरेली और पीलीभीत वृत्त में सारसों की संख्या घटने की वजह से है। हालांकि मुरादाबाद वृत्त में इनकी संख्या में शीतकालीन गणना के दौरान बढ़ोतरी दर्ज की गई। गत वर्ष यहां 255 सारस मिले थे, मगर अब 275 मिले हैं।
सिकुड़ते वेटलैंड के कारण सारसों की संख्या घट रही
सारसों की घटती संख्या को लेकर बर्ड वॉचर भी हैरान हैं, उनका मानना है कि राजकीय पक्षी पर ऐसा कोई बड़ा खतरा नहीं कि इतनी बड़ी तादाद में उनकी संख्या घटे। बर्ड वॉचर काजलदास गुप्ता बताते हैं कि सारस वेटलैंड को अपना ठिकाना बनाते हैं, लेकिन इन दिनों वेटलैंड सिकुड़ते जा रहे हैं या खत्म हो रहे हैं। जिसकी वजह से सारस विस्थापित जरूर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि मादा सारस की खासियत है कि वो वेटलैंड पर टीला बनाकर अंडा देती है। अगर वेटलैंड ही नहीं होंगे तो प्रजनन में दिक्कत होगी, ऐसे में उनका विस्थापित होना लाजिमी है।
यह भी पढ़ें- बरेली की ये जगह जहां खून खराबा होना आम बात, जमीन के लालच में छिन जाती हैं जिंदगियां