महाकुंभ 2025: युद्ध, शांति और समन्वय का प्रतीक है वैष्णव संप्रदाय का धर्मध्वजा

 महाकुंभ 2025: युद्ध, शांति और समन्वय का प्रतीक है वैष्णव संप्रदाय का धर्मध्वजा

कुंभनगर। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ में वैष्णव संप्रदाय का धर्म ध्वजा युद्ध, शांति और समन्वय का प्रतीक है। महाकुंभ मेले में शनिवार को वैष्णव संप्रदाय के निर्वाणी अणि अखाड़ा, निर्मोही अणि अखाड़ा, और दिगम्बर अणि अखाड़े का धर्मध्वजा की स्थापना कर चरण पादुका का पूजन कया गया।

श्री निर्वाणी अणि अखाड़ा के अध्यक्ष मुरली दास ने बताया कि धर्मध्वजा अखाडों की आन, बान और शान होते हैं। अखाड़ों के छावनियों में लहरा रही विशाल धर्म ध्वजाएं आन, बान और शान का प्रतीक हैं। अखाड़ों के शिविर में लहरा रही धर्मध्वजा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बन रही है। ये अखाड़ों के सम्मान का प्रतीक होती है।

उन्होंने कहा कि धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद अखाड़ों में कुंभ का आगाज होता है। अर्ध कुंभ, कुंभ और महाकुंभ में पेशवाई के पहले सभी अखाड़े अपने शिविर (छावनी) में धर्मध्वजा स्थापित किए जाते हैं। इसकी स्थापना शुभ मुहुर्त एवं शुभ दिन में की जाती है। धर्म ध्वजा के बगल ही अखाड़ों के इष्टदेव प्रतिष्ठित किए जाते हैं। सनातन परंपरा में ध्वजा को संस्कृति, विजय, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। धर्म ध्वजा, हिन्दू संस्कृति और बौद्ध संस्कृति एवं धर्म का शाश्वत प्रतीक है।

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धर्म ध्वजा को लगाने के लिए कम से कम 50 फुट की लकड़ी (तनी) का प्रयोग किया जाता है। यह बिल्कुल सीधा होता है। उन्होंने कहा कि धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद अखाड़ों में कुंभ का आगाज होता है। अखाड़े के मंत्री प्रेमदास जी महराज ने बताया कि वैष्णव परंपरा के तीनों अणि अखाड़े के आराध्य ईष्ट देव एक ही देवता हनुमान जी ही हैं, लेकिन तीनों अणि अखाड़े की धर्म ध्वजाएं अलग-अलग रंगों की हैं।

निर्वाणी अखाडे के धर्मध्वजा का लाल रंग की होता है जो युद्ध का प्रतीक होता है। निर्मोही अखाड़े का ध्वज सफेद रंग का होता है जो शांति का प्रतीक है जबकि दिगंबर अखाड़े का ध्वजा में पांच रंग होते हैं। यह पचरंगा समन्वय का प्रतीक है।उन्होंने बताया कि अखाड़े में ऊंची और चारों दिशाओं का संकेत देती धर्म ध्वजाएं स्थापित की गई हैं। इन्हीं चार कोनों में धर्म ध्वजा का बंधन रहता है। इन्हीं चार कोनों में धर्म ध्वजा का बंधन रहता है। धर्म ध्वज अनादिकाल से सनातन धर्म की पहचान रहे हैं।

प्रेमदास महराज ने बताया कि हनुमंत लाल उनके मुख्य देवता हैं। पश्चिम द्वार को संकेत करती निर्वाणी अणि अखाड़े की धर्मध्वजा लहरा रही है। यहां की ध्वजा लाल रंग की है। लाल रंग हनुमान का प्रतीक है। निर्मोही अनी में ध्वज का रंग सफेद (सुनहला) है। यह शांति एवं शुभता का प्रतीक है। इसे अखाड़े नल नील से भी जोड़ते हैं। यह पूरब द्वार को संकेत करता स्थापित है। दिगबंर का ध्वज पचरंगा है। यह अंगद का प्रतीक है। इसे दक्षिण द्वार में संकेत करते हुए स्थापित किया गया है।

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