'सिख-हिंदू एक दूसरे के पूरक, लड़ाने वालों से सावधान रहें', वीर बाल दिवस पर बोले सीएम योगी 

'सिख-हिंदू एक दूसरे के पूरक, लड़ाने वालों से सावधान रहें', वीर बाल दिवस पर बोले सीएम योगी 

लखनऊ। सिख गुरुओं के त्याग और बलिदान को नमन करते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिख-हिंदू एक दूसरे के पूरक हैं, जो इन्हें लड़ाते हैं, उनसे बचना होगा। मुख्यमंत्री आवास पर गुरुवार को वीर बाल दिवस (साहिबजादा दिवस) का मुख्य आयोजन किया गया। इस दौरान ऐतिहासिक समागम व 11,000 सहज पाठ का भी शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के श्लोकों पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। 

उन्होंने कहा कि देश के इस जुझारू व समृद्ध कौम ने सामर्थ्य, पुरुषार्थ व परिश्रम से मिसाल प्रस्तुत की है। कभी बड़ी संख्या में फौज में जाकर सिखों ने भारत की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित किया, लेकिन वे कौन दुश्मन हैं, जो उनके परिश्रम व पुरुषार्थ को कुंद करने की साजिश कर रहे हैं। युवा पीढ़ी को ड्रग की चपेट में लाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। इन्हें पहचानने और उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। सिख-हिंदू एक दूसरे के पूरक हैं, जो इन्हें लड़ाते हैं, उनसे बचना होगा। गुरु महाराज हमें मित्र-शत्रु पहचानने की ताकत दें। 

योगी ने कहा कि सिख परंपरा काफी समृद्ध है। इन्होंने विपरीत परिस्थितियों में लड़ते हुए न केवल अपनी परंपरा को सुरक्षित-संरक्षित रखा, बल्कि देश व धर्म के लिए भी बलिदान देकर नई प्रेरणा प्रदान की। एक तरफ इनका गौरवशाली इतिहास है तो दूसरी तरफ सुनते हैं कि काबुल में सिखों के दो, चार-दस परिवार ही बचे हैं। जब बांग्लादेश की घटना व पाकिस्तान के अंदर अत्याचार के बारे में सुनते हैं, तब सिख गुरुओं के त्याग-बलिदान का स्मरण होता है। सिख गुरुओं के आदर्श हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा देंगे। उनका आशीर्वाद हमारी प्रेरणा है। उस प्रेरणा से आगे बढ़ेंगे, तब काबुल-बांग्लादेश होने से बच पाएंगे, तब किसी ननकाना साहिब के लिए आंदोलन-संघर्ष की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि वह हमें स्वतस्फूर्त भाव से प्राप्त होगा। 

उन्होंने कहा कि 2019 में गुरुनानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर मुख्यमंत्री आवास पर शबद-कीर्तन कार्यक्रम हुआ था। उसके उपरांत 2020 से अनवरत वीर बाल दिवस का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर हो रहा है। अब यह पूरे देश का आयोजन हो गया है। आज की तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह के दो साहिबजादे (बाबा जोरावर सिंह-फतेह सिंह) वजीर खां के हाथों दीवार में चुने गए थे। चमकौर के युद्ध में दो बड़े साहिबजादे (बाबा अजीत सिंह-जुझार सिंह) शहादत को प्राप्त हुए। मां गुजरी इसे बहुत अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाईं। इन लोगों पर उस समय क्या बीता होगा, यह दर्द कोई महसूस नहीं कर सकता, फिर भी एक ही लक्ष्य था कि देश व धर्म पर आंच नहीं आने देंगे। इसके लिए गुरु गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों ने शहादत देकर देश व धर्म की रक्षा की पक्की नींव खड़ी की। जिस पर न केवल आज भी सिख पंथ, बल्कि पूरा देश गौरव की अनुभूति करता है। 

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