चिड़ियाघर में बाघ और गुलदार की डाइटिंग, सप्ताह में एक दिन का विश्राम
गौरव जोशी, नैनीताल। शरीर को फिट रखना सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी जरूरी है। नैनीताल स्थित चिड़ियाघर में बंद बाघ और गुलदार को भी स्वस्थ और चुस्त रहने के लिए सप्ताह में एक दिन डाइटिंग पर रखा जाता है। चिड़ियाघर के डॉ. हिमांशु पांगती के अनुसार, चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर में बंद बाघ और गुलदार को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के नियमों के अनुसार डाइटिंग पर रखा जाता है।
डॉ. पांगती बताते हैं कि जंगल में ये शिकार की तलाश में दूर-दूर तक घूमते हैं, जिससे उनका शरीर सक्रिय रहता है और भोजन आसानी से पचता है। लेकिन चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर में इन जानवरों का सीमित मूवमेंट होता है, क्योंकि वे केवल बाड़े तक ही सीमित रहते हैं। इस कारण इनकी डाइट चार्ट में विशेष परिवर्तन किया जाता है, ताकि इनका शरीर स्वस्थ और सक्रिय बना रहे। इस डाइटिंग प्रक्रिया से इन जानवरों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और वे अपनी फिटनेस बनाए रखते हैं।
जू में बाघ और गुलदार की उम्र लंबी
डीएफओ चन्द्रशेखर जोशी के अनुसार बाघ व गुलदार को जंगल में रहने व भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जबकि जू में सब कुछ आसानी से मिल जाता है। जंगल में बाघ की औसत उम्र 15 से 16 साल व गुलदार की 14 से 15 वर्ष मानी जाती है। वहीं, जू में दोनों की आयु औसत 18 से 20 साल रहती है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के नियमों के तहत मांसाहारी पशुओं को एक दिन भूखा रखा जाता है, ताकि चिड़ियाघर में बंद जानवरों की पाचन क्रिया बनी रहे। चिड़ियाघर के साथ-साथ रेस्क्यू सेंटर में रहने वाले बाघ व गुलदार की डाइट इसी तरह रहती है।
नैनीताल चिड़ियाघर में तीन बाघ
नैनीताल चिड़ियाघर में वर्तमान में छह तेंदुए और तीन बाघ हैं। जबकि रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर में एक बाघिन व गुलदार हैं। सप्ताह में पांच दिन इन्हें गोश्त और एक दिन चिकन उपलब्ध करवाया जाता है। जबकि सातवें दिन डाइटिंग यानी भोजन नहीं मिलता है। वजह उनके पाचन तंत्र को व्यवस्थित रखना है, ताकि बेवजह की चर्बी (मोटापा) न बढ़े।
ढाई से आठ किलो मांस रोज
जू व रेस्क्यू सेंटर में कुल 11 बाघ व गुलदार हैं। उनकी उम्र 2 साल से 12 साल तक है। बाघ को रोज आठ किलो मांस दिया जाता है। जबकि बड़े तेंदुए को पांच और छोटे को ढाई किलो भोजन चाहिए।