Bareilly: नगर निगम में हो गया बड़ा खेल, गूगल की मदद से चल रही नौकरी...टाइपिंग तक आती नहीं

प्रारंभिक जांच में 30 ऑपरेटरों की दक्षता उपयुक्त नहीं पाई, हटाने की तैयारी शुरू

Bareilly: नगर निगम में हो गया बड़ा खेल, गूगल की मदद से चल रही नौकरी...टाइपिंग तक आती नहीं

विश्वदीपक त्रिपाठी, बरेली। नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर तैनाती के लिए कंप्यूटर ऑपरेटरों के चयन में भी बड़ा खेल हो गया। खुलासा हुआ है कि नियुक्त हुए ज्यादातर ऑपरेटरों को टाइपिंग तक नहीं आती और वे कंप्यूटर पर काम करने के लिए गूगल की मदद ले रहे हैं। मामला जानकारी में आने पर नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त की देखरेख में समिति भी गठित कर कंप्यूटर ऑपरेटरों का परीक्षण शुरू करा दिया है। प्रारंभिक जांच के बाद बताया गया है कि 51 कंप्यूटर ऑपरेटरों में से 30 की काम करने में दक्षता उपयुक्त नहीं है।

ये सब ऑपरेटर जोड़तोड़ करके या फिर गूगल की मदद लेकर अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर अपनी नौकरी चला रहे हैं। कुछ ऑपरेटरों की टाइपिंग की गति धीमी है। अब मामला नजर में आने पर इन्हें हटाने की तैयारी की जा रही है। मामला उजागर होने के बाद ऑपरेटर नौकरी में बने रहने के लिए पैरवी करा रहे हैं। नगर निगम में अधिकांश कार्य अब ऑनलाइन हो रहे हैं इसलिए आउटसोर्सिंग से विभिन्न विभागों में करीब दो साल पहले कम्प्यूटर ऑपरेटर रखे गए थे।

नगर निगम कार्यालय में इन ऑपरेटरों को महत्वपूर्ण जगहों पर रखा गया है। इसमें मेयर, नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त, उप नगर आयुक्त, टैक्स, लेखा, राजस्व, स्वास्थ्य, ई टेंडिंग, निर्माण, प्रकाश विभाग सहित अन्य जगहों पर तैनात किए गए हैं। इन्हें हर माह 15 से 20 हजार रुपये के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। अब अयोग्य कम्प्यूटर ऑपरेटरों की सूची तैयार कर आगे की कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

पार्षद ने नियुक्ति पर उठाया था सवाल, रिश्वत लेने का भी लगा था आरोप
पार्षद राजेश अग्रवाल ने 24 सितंबर को नगर निगम की बोर्ड बैठक में आउटसोर्सिंग नियुक्तियों पर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कंप्यूटर ऑपरेटरों को रखने में मनमानी की गई है और उन्हें रिश्वत लेकर रखा गया है। पार्षद ने बताया था कि उनके पास भी इस तरह की शिकायत आई थी। तीन लोगों के पैसे तो खुद उन्होंने वापस कराए थे। इन ऑपरेटरों में से अधिकांश को काम की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी वे नौकरी कर रहे हैं। अगर इस तरह की नियुक्ति हो तो सेवायोजन कार्यालय पंजीकरण कराया जाए।

नौकरी के नाम पर ठगी भी हुई
नगर निगम ने कुछ दिन पहले 40 कर्मचारियों को रखने की योजना बनाई थी। इसको लेकर कुछ लोगों ने बेरोजगारों को ठगी का निशाना बना लिया। उनसे 30 से 40 हजार रुपये लेकर नौकरी दिलाने का वादा किया और सारी रकम लेकर चंपत हो गए। इसी तरह इन कम्प्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति के समय भी कुछ लोगों से रुपये लिए गए थे लेकिन उनको नौकरी नहीं मिल पाई थी।

एक समिति का गठन कर सभी कंप्यूटर ऑपरेटरों का टाइपिंग टेस्ट लिया जा रहा है। पूरी रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई जाएगी- संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त।

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