Bareilly: इन नालों पर हुआ 1 करोड़ से ज्यादा खर्च, फिर भी समस्या जस की तस

Bareilly: इन नालों पर हुआ 1 करोड़ से ज्यादा खर्च, फिर भी समस्या जस की तस

बरेली, अमृत विचार : नगर निगम ने शहर में नालों की सफाई पर एक कराेड़ से ज्यादा का बजट खर्च किया है लेकिन फिर भी ज्यादातर नाले कूड़े से पटे हुए हैं। इन नालों के जाम होने की वजह से उनमें मोहल्लों के छोटे नालों के पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है। कई वार्डों में लोगों को इस वजह से दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

नगर निगम के अधिकारियों की बेपरवाही से इस साल नालों का सफाई का टेंडर ही समय पर नहीं हो पाया। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई जिसकी वजह से टेंडर प्रक्रिया काफी समय तक अटकी रही। नालों की सफाई तय समय पर शुरू होने के बजाय जुलाई तक चली। रिकॉर्ड के मुताबिक नालाें की सफाई के लिए 2024-25 में 1.5 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इसमें से एक करोड़ से ज्यादा का बजट खर्च हो चुका है। इसके बावजूद नाले न साफ हुए हैं न उनमें ठीक से पानी का बहाव हो रहा है।

सिर्फ इस साल ये हालात नहीं हैं। नालों की सफाई पर हर साल करोड़ों खर्च होने के बाद भी समस्या जस की तस रहती है। कभी ऐसा नहीं होता कि बारिश के मौसम में इन नालों के ओवरफ्लो होने से शहर के रिहायशी और व्यवसायिक इलाकों में पानी न भरा हो। नालों की सफाई की गुणवत्ता ठीक न होने की वजह से कुछ समय बाद ही उनकी हालत खराब हो जाती है। कई नाले इतनी बुरी तरह जाम है जैसे सफाई हुई ही न हो। शहामतगंज से सेटेलाइट बस स्टेशन, सुभाषनगर, जगतपुर, सिकलापुर, बदायूं रोड समेत सभी प्रमुख नाले बुरी तरह चोक पड़े हैं जबकि पांच महीने पहले ही उनकी सफाई का दावा किया गया था।

पॉलीथीन पर रोक, फिर भी भरी पड़ी है नालों में
पॉलिथीन पर कहने को प्रतिबंध है, इसके खिलाफ नगर निगम अभियान चलाकर जुर्माना भी लगाता है। नवंबर तक इस अभियान में 20 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जा चुका है लेकिन पॉलिथीन की वजह से ही चोक पड़े ज्यादातर नाले नगर निगम के पॉलिथीन विरोधी अभियान की भी सच्चाई बयां कर रहे हैं। नालों की सबसे खराब हालत उन जगहों पर है, जहां शराब या दूसरे खाने-पीने की दुकानें हैं। इन दुकानों का सारा कूड़ा नालों में ही फेंक दिया जाता है। कई इलाकों डेयरियों का गोबर नालों में बहाया जा रहा है। नगर निगम कई सालों से इन डेयरी मालिकों को हवाई चेतावनी जारी करने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा है। कई मोहल्लों के नाले-नाली इस वजह से जाम पड़े हैं और उनका पानी सड़क पर ओवरफ्लो हो रहा है।

हर साल बढ़ जाता है बजट
नालों की सफाई का हर साल टेंडर होता है। इनकी सफाई कराने की जिम्मेदारी नगर निगम निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग की होती है। नाला सफाई पर 2022-23 में 49 लाख रुपये खर्च किए गए थे। 2023-24 में 80 लाख रुपये का बजट आवंटित हुआ। इस साल डेढ़ करोड़ का प्रावधान हुआ है। आवंटित बजट का सर्वाधिक खर्च 29 बड़े नालों पर ही किया गया है।

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