Kanpur: मोबाइल के अधिक प्रयोग से बढ़ी धुंधला दिखने की समस्या, इस बीमारी में रोशनी जाने का खतरा, ऐसे रख सकते हैं अपनी आंखों को स्वस्थ
मोबाइल के अधिक प्रयोग से बढ़ी धुंधला दिखने की समस्या
कानपुर, अमृत विचार। जो बच्चे बिना मोबाइल लिए खाना नहीं खाते है और घंटों मोबाइल पर समय बिताते हैं, उनके अभिभावकों के लिए यह खबर चेतावनी भरी है। मोबाइल की ब्लू लाइट के कारण मैक्यूलर डिजनरेशन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, इससे धुंधला दिखने की दिक्कत बढ़ सकती है।
मैक्यूलर डिजनरेशन की समस्या आमतौर में बुजुर्गों में देखने को मिलती है, लेकिन मोबाइल के अधिक प्रयोग से बच्चों और युवाओं को धुंधला दिखाई देने की समस्या हो रही है। हैलट अस्पताल की नेत्र रोग विभाग ओपीडी में हर माह 15 से 20 मरीज मैस्कुलर डिजनरेशन बीमारी से पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं।
नेत्र रोग विभाग में प्रो. डॉ.परवेज खान के मुताबिक मोबाइल, लैपटॉप व कंप्यूटर से निकलने वाली ब्लू लाइट के कारण युवा तेजी से इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। अंधेरे में मोबाइल चलाने का सबसे ज्यादा बुरा असर रेटिना पर पड़ता है। अंधेरे में कई घंटों तक मोबाइल चलाने से एक समय के बाद दिखना बंद हो जाता है। अगर रेटिना खराब हो जाए तो आंखों की रोशनी जा सकती है।
इस बीमारी में मैक्यूल (रेटिना के बीच के भाग में) असामान्य ब्लड वैसेल्स बनने लगते हैं, जिससे केंद्रीय दृष्टि प्रभावित होती है। मैक्यूला के क्षतिग्रस्त होने पर इसे दोबारा ठीक करना मुमकिन नहीं है। लेकिन आंख के पर्दे की लाइलाज बीमारी मैक्युलर डिजनरेशन के इलाज में स्टेम सेल से सफलता मिली है।
दो साल से चल रहा था शोध
मैक्युलर डिजनरेशन बीमारी का इलाज अभी तक मेडिकल कॉलेज में नहीं था। इसके इलाज में स्टेम सेल से लोगों को राहत मिली है। दो साल से टीम इस शोध में लगी थी। स्टेम सेल से आंख के पर्दे की कोशिकाएं स्वस्थ होने लगीं। आंख में स्टेम सेल डालने के छह माह के अंदर स्थिति में बदलाव देखने को मिला है।
ऐसे रख सकते हैं अपनी आंखों को स्वस्थ
- मोबाइल चलाते समय पलकों को जरूर झपकाएं।
- आंखों में ड्राईनेस की समस्या न होने दें।
- आंखों के एकदम पास रखकर मोबाइल न चलाएं।
- मोबाइल चलाते समय ब्लू लाइट का संपर्क रोकने वाला चश्मा पहनें
- रात में मोबाइल का इस्तेमाल लाइट चालू करके ही करें।
- कंप्यूटर व लैपटॉप पर काम करने पर आंखें थोड़ी में जरूर धोएं।