Kanpur: शहर की हवा खराब, इतना पहुंचा एक्यूआई...वातावरण में छाए धूल के कण, लोगों को सांस लेने में हुई दिक्कत

Kanpur: शहर की हवा खराब, इतना पहुंचा एक्यूआई...वातावरण में छाए धूल के कण, लोगों को सांस लेने में हुई दिक्कत

कानपुर, अमृत विचार। मौसम के मिजाज में बदलाव के साथ ही हवा की भी सेहत बदलने लगी है। शुक्रवार की शुरुआत धुंध और कोहरे के साथ हुई। यह धुंध मुसीबत लेकर आई और दिन भर छाई रही। अधिकतम एक्यूआई 321 दर्ज किया गया। जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई। वायु में हानिकारक प्रदूषक बढ़ने से दिक्कत बढ़ी। इससे निपटने के लिए नगर निगम ने सड़कों पर पानी का छिड़काव शुरू करा दिया है।

गुरुवार को आसमान में प्रदूषण की धुंध छाने से जहां सामान्य विजिबिलिटी कम हुई तो वहीं एक्यूआई खराब स्थिति में दर्ज किया गया। शहर में हवा मापने वाले कई मॉनीटरिंग स्टेशन पर सुबह 11 बजे एक्यूआई 321 तक पहुंच गया, वहीं दोपहर 1 बजे भी यह 215 के करीब था। शहर के तीनों स्टेशनों में पहली बाद किदवई नगर के संजय वन के आस-पास की हवा भी दूषित पाई गई। 

शहर की हवा में बढ़ते प्रदूषक तत्वों ने प्रदूषण से निपटने की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने कहा कि गुरुवार को शहर में कोहरा नहीं, बल्कि प्रदूषण की धुंध छाई, जिसे स्मॉग कहा जाता है। न्यूनतम तापमान नीचे आते ही धूल के कणों की मोटी चादर बन गई है। 

उन्होंने बताया कि जब कोहरे का धुएं के साथ मिश्रण होता है तो उसे धुंध (स्मॉग) कहते हैं। कुहासा या धुंध भी एक तरह का कोहरा ही होता है, बस दृश्यता का अंतर होता है। यदि दृश्यता की सीमा एक किमी या इससे कम हो तो उसे कुहासा या धुंध कहते हैं। 

उन्होंने कहा कि मानव निर्मित धुंध, कोयले के दहन, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन, औद्योगिक उत्सर्जन, जंगल और कृषि की आग से पैदा होती है। कानपुर नगर निगम ने धूल और धुंध से निपटने को लेकर प्रदूषण सेंसर वाले क्षेत्रों के दो किमी के दायरे को प्रदूषण सेफ जोन बनाने का प्रयास शुरू किया है। 

विभाग 8 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन, 6 एंटी स्मॉग गन से अभियान चलाया गया है। 10 वाटर स्प्रिंकल गाड़ियों से छिड़काव किया जा रहा है। इसके साथ ही कूड़े को जलने से रोकने के लिये सख्त एडवायजरी जारी की गई है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार कूड़ा व तार जलाते पाए जाने पर जुर्माने की कार्रवाई होगी। 

बच्चों, गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिमपूर्ण

वायु में हानिकारक प्रदूषकों जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर का बढ़ना चिंता की बात है। 300 से ऊपर वायु की गुणवत्ता बहुत अस्वास्थ्यकर है। विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए जोखिमपूर्ण है। लम्बे समय तक इसके संपर्क में रहने वाले अधिकांश लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।  

क्या बोले विशेषज्ञ

डॉ. एसएन सुनील ने बताया कि आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है, तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है। कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती है। तब हम इसे कोहरा कहते हैं। 

तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। यह वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर ही फैला रहता है। किसी घने कोहरे में दृश्यता एक किमी से भी कम हो जाती है। इससे अधिक दूरी पर स्थिति चीजें धुंधली दिखाई पड़ने लगती हैं।

कानपुर एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले पांच दिनों में सुबह के समय आसमान में हल्की से मध्यम धुंध छाई रहने के आसार हैं, लेकिन बारिश की कोई संभावना नहीं है। - डॉ. एसएन सुनील, मौसम विशेषज्ञ

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