Allahabad High Court Decision: लखीमपुर खीरी हिंसा के अन्य 12 आरोपियों को मिली जमानत
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में कुल 12 आरोपियों को नियमित जमानत देते हुए कहा कि हिंसा में शामिल लोगों ने 'बेशक' संयम नहीं बरता, लेकिन आरोपों के विपरीत शिकायतकर्ताओं के अलग-अलग बयान दिए गए। इसके अलावा वर्तमान में बड़ी संख्या में गवाहों की जांच होनी बाकी है और निकट भविष्य में मुकदमा समाप्त होने की कोई संभावना न देखते हुए यह मामला जमानत के लिए उपयुक्त लगता है, इसलिए जमानत आवेदन स्वीकार कर लिए गए।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नंदन सिंह बिष्ट और 11 अन्य आरोपियों को सशर्त जमानत देते हुए पारित किया। आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी, मोटर व्हीकल एक्ट और आर्म्स एक्ट की धाराओं के अंतर्गत पुलिस स्टेशन तिकुनिया लखीमपुर खीरी में मुकदमा पंजीकृत किया गया था। याचियो के अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनका नाम प्राथमिकी में नहीं है। चश्मदीद गवाहों के बयान में जांच के दौरान उनके नाम सामने आए हैं।
मालूम हो कि अभियुक्तों पर वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में वर्तमान में निरस्त किए गए कृषि कानूनों के विरोध में एकत्र हुए कम से कम चार किसानों और एक पत्रकार सहित कुल आठ लोगों की हत्या का आरोप लगाया गया था। बता दें कि अपराध के मुख्य आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है और अन्य आरोपियों को अलग-अलग तिथियां पर हाई कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दी गई थी।
यह भी पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : योग्य उम्मीदवार द्वारा मामूली अपराध की सूचना न देने की गलती को अनदेखा किया जा सकता है