कैंसर के लिए रामबाण बनें हल्दी पर यह कहती है मॉडर्न मेडिसिन, सिद्धू के दावे पर जानिये डॉक्टर की राय
नवजोत का कैंसर हुआ ठीक, सिद्धू के दावे पर बोले कैंसर संस्थान के डॉक्टर
लखनऊ, अमृत विचार। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने कैंसर को मात दे दी है। वह लंबे समय से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहीं थीं। नवजोत कौर के ठीक होने की जानकारी सिद्धू ने गुरुवार को दी थी। उन्होंने बताया था कि उनकी पत्नी ने कैंसर को मात दे दी है।
मीडिया से बात करते हुये सिद्धू ने यह भी दावा किया है कि नवजोत कौर को स्टेज 4 इनवेसिव कैंसर था, डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिये थे, लेकिन हौसले के दम पर उन्होंने (नवजोत कौर) ने इस घातक बीमारी को ही खत्म कर दिया। दावा किया जा रहा है कि इस बीमारी को मात देने के लिए नवजोत कौर ने लाइफ स्टाइल और डाइट में बदलाव किया और महज 40 दिन में इस बीमारी से जंग जीत ली। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने कहा कि कच्ची हल्दी,नीम के पत्ते, नीबू पानी, एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल किया। जिससे 40 दिन में ही कैंसर ठीक हो गया।
सिद्धू के इन्हीं दावों और मॉडर्न मेडिसिन में हल्दी के महत्व पर लखनऊ स्थित कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं हॉस्पिटल के प्रो. शरद सिंह ने क्या कुछ कहा है आइये जानते हैं।
प्रो. शरद सिंह ने कहा है कि कैंसर हर समय मानव शरीर में बनता है और समाप्त भी होता है, लेकिन जब कोशिकायें अनियमित रूप से बढ़ती जाती हैं, तो कैंसर कहलाती हैं। शरीर के अलग-अलग जगहों पर बनने वाले कैंसर का इलाज और स्थिति अलग होती है। कुछ कैंसर के बारे में तो आज तक जानकारी ही नहीं हैं, लेकिन यह बात भी सच है कि यदि हल्दी का सेवन लगातार किया जाये, तो कैंसर होगा ही नहीं। हल्दी की अहम भूमिका होती है कैंसर के रोकथाम में, लेकिन अधिक मात्रा में हल्दी का सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है।
उन्होंने बताया कि कैंसर से ठीक हो चुके मरीजों को हमलोग भी हल्दी से बनी दवायें देते हैं। जिससे दोबारा कैंसर होने की संभावना कम होती है। यह बात शोध में भी सिद्ध हो चुकी है। उन्होंने हल्दी के सेवन को बेहतर बताया है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन से बचने की सलाह भी दी है।
इस दौरान प्रो. (डॉ.) शरद ने नीम को लेकर कहा है कि इस पर अभी और अधिक शोध होने की जरूरत है, लेकिन यह बात तो तय हैं कि नीम बैक्टीरिया के खिलाफ काम करता है। उन्होंने यह भी कहा है कि जितना हम क्षारीय रहेंगे, उतना कैंसर होने की संभावना कम रहेगी।
स्टेट फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील यादव ने बताया है कि फार्माकोग्नॉसी में क्रूड डग्स का अध्यन किया जाता है। इस तरह नीम और हल्दी दोनों में केमिकल कांस्टीट्वेंट होते हैं। रही बात कैंसर में नीम और हल्दी के प्रभाव की तो इस पर अभी और शोध की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि शारीरिक सक्रियता और बैलेंस डाइट ही स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र है।
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