पावर कारपोरेशन के लिए मुसीबत बन गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर
घटिया होने के कारण उपभोक्ता कर रहे मीटर लगवाने से इनकार
लखनऊ, अमृत विचार: राजधानी के दो लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के घरों में एक किलोवॉट वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। घटिया होने के कारण लाइफलाइन उपभोक्ताओं ने ये मीटर लगवाने से इंकार कर दिया है। हालांकि जांच कराकर घरों में मीटर लगवाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन घटिया मीटर पावर कॉरपोरेशन अधिकारियों के लिए समस्या बन गए हैं।
राजधानी के सभी लाइफलाइन बिजली उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला लिया गया है। मीटर के लिए करोड़ो रूपये का टेंडर निकाले जा चुके हैं। मीटर लगाने का काम भी शुरू कर दिया गया, लेकिन इसके घटिया होने का आरोप लगने लगा। मीटर का पैसा उपभोक्ताओं से नहीं लिया जाएगा। पावर कॉरपोरेशन बिजली कंपनियों की ओर से वसूले गये बिजली बिल का एक हिस्सा मीटर लगाने वाली कंपनियों को देगी।
एक किलोवॉट का प्रीपेड स्मार्ट मीटर घाटे का सौदा
विभागीय जानकारों के अनुसार बड़े उपभोक्ताओं से लिए बए बिल का एक हिस्सा तो बिजली कंपनियों को देना मुनासिब है, लेकिन लाइफलाइन उपभोक्ताओं की मीटर पर खर्च पावर कॉरपोरेशन के लिए घाटे का सौदा साबित होगा। चालू वित्तीय वर्ष के टैरिफ के आदेश के मुताबिक प्रदेश में डेढ़ करोड से अधिक लाइफलाइन उपभोक्ता हैं। ये उपभोक्ता अगर 100 यूनिट का इस्तेमाल करते हैं, तो बिजली विभाग का 350 करोड़ बिल के तौर पर कंपनियों के पास चला जाएगा। इसके साथ ही सौ से कम यूनिट अगर उपभोक्ता खर्च करता है तो इसका बिल कम हो जायेगा, लेकिन विभाग को कंपनियों को 101 से 110 की दर से मीटर कंपनियों को भुगतान करना होगा।
नियामक आयोग ने स्मार्ट मीटर पर उठाए सवाल
स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लगाने की योजना को जब लाया गया, उसी दौरान नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से पूरे योजना का विश्लेषण मांगा था। पावर कॉरपोरेशन ने उस समय आयोग के निर्देश के बाद भी विश्लेषण रिपोर्ट को उसके सामने नहीं रखा। विभागीय जानकारों के अनुसार योजना के आंकलन का उसी समय किया गया होता, तो फायदा और नुकसान का पता आसानी से हो सकता था। एक बार फिर आयोग ने दोबारा पूरा ब्योरा तलब किया है। जानकारों की माने तो छोटे उपभोक्ताओं को शुरुआती फेज में मीटर बदलने की योजना से बाहर रखा जाता, तो शायद नुकसान को कम किया जा सकता था, क्योंकि एक किलोवॉट उपभोक्ताओं से ज्यादा धनराशि बिल के तौर पर नहीं मिलती है।
-प्रीपेड मीटर में तकनीकी खराबी से लेकर सभी समस्याओं का निराकरण उपभोक्ता की शिकायत पर की जायेगी। इसके साथ ही मीटर के तेज चलने और जपिंग करने की शिकायत पर चेक मीटर लगाकर उपभोक्ताओं की समस्या को दूर किया जायेगा।
रजत जुनेजा, मुख्य अभियंता सिस गोमती
यह भी पढ़ेः विधि विविः Artificial Intelligence बन जाएगा विध्वंसक, बढ़ते प्रयोग से उठेंगे कॉपीराइट और पेटेंट के मुद्दे