Lucknow University: कैंसर, लीवरसिरोसिस, मेंटल डिसआर्डर पनपने से रोक सकता है वैक्टीरिया

Lucknow University: कैंसर, लीवरसिरोसिस, मेंटल डिसआर्डर पनपने से रोक सकता है वैक्टीरिया

(मार्कण्डेय पाण्डेय), लखनऊ, अमृत विचार: मनुष्यों में ही नहीं -पौधों में भी बीमारियों से लड़ने में रोग प्रतिरोधक क्षमता काम करती है। इस क्षमता को बढ़ाने, बनाए रखने में ह्यूमन और प्लांट माइक्रोबायोम (अतिसूक्ष्म जीव समुदाय) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। माइक्रोबायोम के अंतर्गत अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के साथ फंगस भी आते हैं। जिनमें कुछ खास तकनीक से गुड (अच्छे) बैक्टीरिया को बढ़ाकर मनुष्य न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है बल्कि कैंसर, लीवरसिरोसिस, मेंटल डिसआर्डर जैसी अनेक बीमारियों को पनपने से रोक भी सकता है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग की डॉ. सुषमा मिश्र प्लांट माइक्रोबायोम पर काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पेड़-पौधों और मनुष्य के शरीर में बैक्टीरिया की प्रतिक्रिया में काफी समानताएं हैं। जैसे राईजोवियम नामक बैक्टीरिया पौधों में नाईट्रोजन की मात्रा तय करता है, वैसे ही मनुष्य शरीर में कई ऐसे बैक्टीरिया हैं जो जिंदा रखने में सहायक हैं। अच्छे बैक्टीरिया हमारे पाचन से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता तक बढ़ाने का काम करते हैं। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य से लेकर विभिन्न तरह के रोगों की प्रकृति के खिलाफ शरीर को तैयार करते हैं। डॉ. सुषमा ने स्वस्थ पौधों को प्रयोगशाला में लाकर उनको कीटाणु और प्रत्येक प्रकार के बाहरी अवयवों से मुक्त किया। एक विशेष संयंत्र में रखकर उनके कई हिस्सों में बैक्टीरिया पैदा करने में सफल हुईं। उस बैक्टीरिया के फायदेमंद पक्ष पर शोध शुरू किया है।

जंक और फास्ट फूड से रहें दूर
डॉ सुषमा ने बताया कि शरीर में अच्छे और बुरे दोनों बैक्टीरिया होते हैं। जंक और फास्ट फूड से बैड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। इसे और अधिक खाने की बार-बार इच्छा पैदा होने लगती है। शाकाहारी लोगों में गुड बैक्टीरिया अधिक होता है। मांसाहरी भोजन में हम जाने अन्जाने एनिमल बैक्टीरिया को भी खाते हैं। ताजे फल-फूल, सब्जियां भी हमारे शरीर में इसे बढ़ाने में मदद करते हैं।

अच्छे बैक्टीरिया से फायदे
अच्छे बैक्टीरिया मनुष्य के जीने और सोचने समझने की क्षमता तक प्रभावित करते हैं। इससे न केवल मनुष्य का शरीर बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य में भी बदलाव किया जा सकता है। अस्पतालों की भीड़ कम होने से लेकर लोगों के व्यवहार में बदलाव से सामाजिक क्लेश भी दूर होगा।

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