भारत में जारी बदलाव
विकास के पथ पर अग्रसर भारत दुनिया के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया में व्यापार जगत की प्रमुख हस्तियों से हुई मुलाकात में भारत में डिजिटल, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और कौशल में बदलाव को रेखांकित किया। हालांकि भारत को वैश्विक प्रौद्योगिकीय दौड़ में चुनौतियों और अवसरों दोनों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रूप से बढ़ रही है। भारत का दूरसंचार उद्योग विश्व का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार उद्योग है।
भारत विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप परितंत्र के रूप में भी उभरा है। महत्वपूर्ण है कि दुनिया के देशों में भारत के साथ काम करने की इच्छा और भावना है। वास्तव में पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम एक परिवर्तनकारी शक्ति बन गया है, जिसने भारत की विकास कहानी की गति को बदल दिया है और देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदल दिया है। इस दृष्टिकोण को तीन प्रमुख स्तंभों के माध्यम से साकार किया जा रहा है: मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा, सुलभ सरकारी सेवाएं और सशक्त नागरिक। उभरती हुई प्रौद्योगिकियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत, डिजिटल साक्षरता को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान चलाया जा रहा है। भारत के डिजिटल परिवर्तन की नींव जीवन को आसान बनाने के लिए एक सर्वव्यापी डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण में निहित है। यानी नागरिकों को सशक्त बनाना डिजिटल इंडिया का मूल है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत मेक इन इंडिया पहल के ज़रिए इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए कई अन्य पहलों के साथ-साथ देश में सितंबर 2014 में एक प्रमुख परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत की।
गौरतलब है कि डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया की परिकल्पना भारतीय नवप्रवर्तकों और व्यापारिक नेताओं के लिए कार्रवाई के आह्वान के रूप में की गई थी। ‘मेक इन इंडिया’ मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है। कहा जा सकता है कि ये दोनों पहल भारत को वैश्विक तकनीकी महाशक्ति बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।