उगा हे सूरज देव... प्रयागराज में महापर्व छठ की धूम, उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ छठ पूजा, देखें तस्वीरें
प्रयागराज/नैनी, अमृत विचार। सूर्योपासना के महापर्व छठ के आखिरी दिन शुक्रवार की भोर से ही संगम और अरेल घाट पर व्रती महिलाएं गीत गाते हुए ढोल ताशों के साथ पहुंची। महिलाओं के गीत से पूरा घाट गुंजायमान हो रहा था। गुरुवार को संध्याकाल डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने घरों में भजन कीर्तन कर रात जगी की और भोर में फिर से घाट पर पहुंचकर छठ मईया का पूजन कर उगते सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर अपने परिवार की मंगल कामना के लिए प्रार्थना की। महिलाओं ने घाट पर सुहागिन महिलाओं को मांग भर सिंदूर लगाया और प्रसाद दिया।
पूर्वांचल और बिहार में पुत्रों की दीर्घायु और परिवार की मंगल कामना के लिए मनाए जाने वाले चार दिवसीय महापर्व की शुरुवात मंगलवार से हुई। नहाए खाए और खरना के बाद इस महापर्व पर गुरुवार की शाम को फलों और प्रसाद के साथ पूजन समाग्री से भरी दौरी डाला सिर पर रखकर महिलाएं व उनके पति ढोल नगाड़े के साथ घाट पर पहुंचे।
संगम नोज, बलुआघाट व्रती महिलाओं और उनके परिवार से खचाखच भरा रहा। महिलाओं ने घाट पर लेप लेकर गन्ने की छावनी बनाकर छठी मईया की पूजा की। पूजन कर बाद कमर तक पानी में उतरकर अस्ताचल डूबते हुए भगवान आदित्य(सूर्य) को संध्याकाल में अर्घ्य दिया और अपने घर पहुंचकर रातजगी की। शुक्रवार की भोर यानी व्रत के आखिर दिन महिलाएं फिर अपने परिवार के साथ संगम, अरेल घाट पर बाजे गाजे के साथ पहुंचकर छठ मईया की पूजा की।
महिलाओं ने कमर तक पानी में भगवान आदित्य देव की पहली किरण के दर्शन के लिए इंतजार करती रहीं। सूर्य की पहली किरण के दिखने पर महिलाओं ने जल और दूध से अर्घ्य देकर व्रत को पूरा किया। घाट पर सुहागिन महिलाओं ने एक दूसरे को मांगभर सिंदूर लगाया और अखंड सौभाग्य वती होने की कामना की।
ठेकुआ व चने का बांटा प्रसाद
छठ पर भगवान सूर्य की उपासना और पूजन के बाद अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की। महिलाओं ने पूजा घाट पर ही प्रसाद के लिए ठेकुआ और चना वितरण किया। छठ पूजा के प्रसाद को पाने के लिए घाट पर होड़ मची रही।
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