उत्तराखंड के दो जिलों में मतदाता संख्या में असामान्य वृद्धि, निर्वाचन अधिकारी ने वेरिफिकेशन अभियान के आदेश दिए

उत्तराखंड के दो जिलों में मतदाता संख्या में असामान्य वृद्धि, निर्वाचन अधिकारी ने वेरिफिकेशन अभियान के आदेश दिए

देहरादून, अमृत विचार। उत्तराखंड के दो जिलों, अल्मोड़ा और पौड़ी, में मतदाता सूची में असामान्य वृद्धि का मामला सामने आया है, जिससे निर्वाचन अधिकारियों में चिंता का माहौल है। राज्य के औसत मतदाता-जनसंख्या अनुपात (ईपी रेशियो) 704 है, लेकिन इन दोनों जिलों में यह आंकड़ा औसत से काफी ज्यादा पाया गया है। इसे लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दोनों जिलों के जिलाधिकारियों को तत्काल वेरिफिकेशन अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

अल्मोड़ा और पौड़ी में असामान्य वृद्धि

उत्तराखंड में औसतन प्रति एक हजार व्यक्तियों में से 704 मतदाता पंजीकृत हैं, जबकि अल्मोड़ा में यह आंकड़ा 995 और पौड़ी में 979 के स्तर पर पहुंच चुका है। यह वृद्धि राज्य के औसत से क्रमशः 29.10 प्रतिशत और 27.50 प्रतिशत अधिक है। इन असामान्य आंकड़ों को देखकर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए त्वरित सत्यापन की आवश्यकता महसूस की गई है। 

घर-घर जाकर सत्यापन की योजना

मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने दोनों जिलों को ईपी रेशियो का पूरा डाटा भेज दिया है और अब जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन जिलों में घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन कराएं। विशेष रूप से उन मतदाताओं की पहचान की जाएगी जो इन जिलों के निवासी तो हैं, लेकिन वर्तमान में दूसरे राज्यों में निवास कर रहे हैं। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी व्यक्ति के नाम दोनों स्थानों पर तो पंजीकृत नहीं हैं, ताकि किसी प्रकार की चुनावी गड़बड़ी को रोका जा सके।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी का बयान

डॉ. पुरुषोत्तम ने कहा, "सत्यापन अभियान के बाद ही हम यह स्पष्ट कर पाएंगे कि इन जिलों में मतदाता सूची में यह असामान्य वृद्धि क्यों हुई है। अगर यह पाया जाता है कि यहां कोई गड़बड़ी है, तो हम उचित कदम उठाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो।" 

लोकतंत्र की मजबूती के लिए कदम

यह वेरिफिकेशन अभियान राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों की निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। चुनावी प्रक्रिया को किसी भी प्रकार की धांधली से बचाने के लिए इस सत्यापन को जरूरी माना जा रहा है, ताकि मतदाता सूची में कोई भी गलत प्रविष्टि न हो और हर व्यक्ति का मतदान अधिकार सही तरीके से सुनिश्चित हो।

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