SC: यमुना को ‘प्रदूषित’ करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आगरा नगर निगम पर लगाया गया जुर्माना रखा बरकरार
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहने पर 58.38 करोड़ रुपये की पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश को आगरा नगर निगम द्वारा दी गयी चुनौती को सोमवार को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह कहते हुए निगम की अपील खारिज कर दी कि उसने प्रदूषण को कम करने के लिए ‘कुछ नहीं’ किया और उल्टे उसने पर्यावरण एवं स्थानीय लोगों के लिए ‘नरक ’ जैसी स्थिति पैदा कर दी।
एनजीटी ने फरवरी और दिसंबर 2023 के बीच यमुना नदी में अशोधित अपशिष्ट को प्रवाहित करने की कथित अनुमति देने को लेकर आगरा नगर निगम पर जुर्माना लगाया था। पीठ ने कहा कि शहर के अपशिष्ट शोधन संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं, जिससे यमुना में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।
एनजीटी ने अप्रैल में आगरा नगर निगम को तीन महीने के भीतर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास 58.38 करोड़ रुपये का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया था। अपने उस आदेश में अधिकरण ने पर्यावरण क्षति के मामलों में जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया था। इस आदेश के बाद नगर निगम ने जुर्माना अदा करने से राहत की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।