ओडीएफ प्लस होंगे गांव, फेज-2 का काम जल्द होगा शुरू
लखनऊ, अमृत विचार: स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ प्लस के लिए चयनित गांवों का कार्य कंसल्टिंग इंजीनियर के माध्यम से कराया जाएगा। कार्यों में बेहतरी लाने के लिए निदेशक पंचायती राज विभाग अटल कुमार राय ने ये निर्देश दिए हैं। इस वर्ष फेज-2 में ओडीएफ प्लस के लिए ग्राम पंचायतों का चयन पंचायती राज विभाग ने किया है। जहां, साफ-सफाई, व्यक्तिगत शौचालय निर्माण, ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन समेत कई कार्य कराए जाने हैं।
कंसल्टिंग इंजीनियर कर रहे काम की जांच
इन कार्यों में बेहतरी लाने के लिए करीब दो वर्ष पहले विभाग ने कंसल्टिंग इंजीनियर रखे थे। जिनका प्रशिक्षण भी पूरा हो गया है। ऐसे में निदेशक ने सभी जिला पंचायत राज अधिकारी को इंजीनियरों को अनिवार्य रूप से दायित्व देते निर्माण संबंधित प्राकलन तैयार कराकर कार्य कराने के निर्देश भी दिए हैं। इसके अलावा अन्य विभागीय प्राकलन भी तैयार किए जाएंगे। एक इंजीनियर को एक ही विकास खंड की ग्राम पंचायतें दी जाएंगी, जो की गांवों का पूरी तरह से कायाकल्प कर देगा।
क्या है ओडीएफ प्लस गांव?
ओडीएफ प्लस गांव (ODF Plus) यानी की ऐसा गांव जहां पर खुले में शौच करने पर पूरी तरह से पाबंदी हो और ग्राम पंचायत में कम से कम एक सामुदायिक शौचालय जरूर हो। इसके साथ ही साथ प्राथमिक विद्यालय, पंचायत घर और आंगनवाड़ी केंद्र में शौचालय की सुविधा हो। सभी सार्वजनिक स्थानों और कम से कम 80 फीसदी घरों में अपने सुखा और गीला कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन हो।
इतना ही नहीं स्कूल-आंगनबाड़ी केंद्र पर छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए। किसी भी सामूहिक जगहों पर जैविक या अजैविक कूड़ा न इकट्ठा न हो। इसके साथ ही नाले में पानी इकट्ठा न हो और गांव में कूड़ा के निस्तारण के लिए कूड़ेदान या गड्ढे बना हो।
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन महत्वपूर्ण
प्लास्टिक उत्पाद लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गए हैं, लेकिन यह आज भी एक गंभीर समस्या है, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में। इसके कारण गांवों को ओडीएफ प्लस (ODF Plus) घोषित करने के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को एक महत्वपूर्ण मानदंड बनाया गया है। इसके तहत जब बड़ी मात्रा में प्लास्टिक जमा हो जाए, तो प्लास्टिक वेस्ट रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर में उसे ले जाया जाए, जहां उसे नष्ट किया जाए।
इसके अलावा गांव में प्लास्टिक के लिए अगल से जगह हो, जहां प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर बनने के साथ ही सामुदायिक बायो गैस प्लांट भी आवश्यक हो। वहीं गांवों के लोगों को इसके प्रति जागरूक करना भी आवश्यक है। साथ ही गांव में पांच मुख्य जगहों पर स्वच्छता स्लोगन लिखा होना भी जरूरी है।
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