Chhath Pooja: इन महिलाओं को नहीं रहना चाहिए छठ पूजा, नहीं तो हो सकता है खतरनाक
लखनऊ, अमृत विचारः देशभर में छठ की धुम देखने को मिल रही है। 5 नवंबर से शुरू होने वाले छठ के लिए लोगों की संवेदना जुड़ी हुई हैं। देशभर में छठी मैया का व्रत पूरे विधि विधान के साथ रखा जाता है। खास तौर पर उत्तर भारत में लोग बड़ी ही श्रद्धा और आस्था के साथ छठ की पूजा करते हैं। इस व्रत में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं की भागीदारी बहुत ही ज्यादा होती है। यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है।
इस व्रत को करना काफी कठिन होता है। इसमें 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखना पड़ता है. साथ ही ठंड में कई घंटों तक नदी या तलाब में कमर तक पानी में खड़ा रहना पड़ता है। महिलाएं और पुरूष छठ का व्रत बड़ी ही श्रद्धा भाव से रखते हैं, लेकिन क्या आपको मालुम है कि कुछ महिलाओं को यह व्रत नहीं रखना चाहिए। आखिर ये महिलाएं हैं जिसके लिए यह व्रत रखना काफी खतरनाक हो सकता है। उन्हें इस व्रत को रखने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं कि कौन सी हैं यह महिलाएं और क्यों उन्हें इस व्रत को रखने से बचना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में छठ रखना खतरनाक
प्रेग्नेंट महिलाओं को छठ का व्रत रखने से पहले कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। फिर ही इस निर्जला कठिन 36 घंटे के व्रत को रखना चाहिए। दरअसल ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को किसी भी तरह का व्रत ना रखने की सलाह देते हैं। वहीं छठ एक ऐसा व्रत है, जिसमें कुछ घंटे नहीं बल्कि पूरे 36 घंटे तक निर्जला व्रत रहना पड़ता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए काफी कठिन हो सकता है। इस व्रत के नियम का पालन करते समय मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ सकता है।
फर्स्ट ट्रिमेस्टर में सावधानी जरूरी
हेल्थ एक्सपर्ट प्रेगनेंसी में किसी भी तरह का व्रत रखने से मना करते हैं। खास तौर पर प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में। इस दौरान प्रग्नेंट महिलाओं को व्रत रखने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। ऐसा इस लिए हैं क्योंकि प्रेगनेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में महिलाओं को उल्टी, सिर दर्द, जी-मिचलाना और घबराहट जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्रत रखना समस्या को बढ़ा सकता है।
प्रेग्नेंसी में सुरक्षित नहीं व्रत
इसके अलावा तीसरी तिमाही में भी डॉक्टर्स व्रत रखने की सलह नहीं देते हैं। इस दौरान भी व्रत रखना सुरक्षित नहीं माना जाता है। ऐसे में चक्कर आने का खतरा बढ़ता है। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज, एनीमिया आदि हो तो तो ऐसे में व्रत रखना काफी खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन अगर आपकी प्रेग्नेंसी सामान्य है और किसी तरह की समस्या नहीं होगी। ऐसे में डॉक्टरों से सलाह के साथ व्रत रखा जा सकता है, लेकिन इसके लिए भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
-डिहाइड्रेशन का खतरा अधिक: गर्भवती महिलाओं को निर्जली व्रत करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे उनकी और बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। छठ के व्रत में बिना पानी के उपवास करने से डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
-लो एनर्जी: प्रग्नेंट महिलाओं में अतिरिक्त ऊर्जा और पोषक तत्वों की जरूरत होती है। लंबा उपवास और बिना भोजन के रहना गर्भवती महिला के लिए खतरनाक हो सकता है। उनके लिए थकावट और कमजोरी का कारण बन सकता है।
-क्या करना चाहिए
प्रेग्नेंट महिलाएं अगर फिर भी व्रत रखना चाहती हैं तो वे गर्भावस्था के दौरान पानी पीकर और फल खाकर व्रत रख सकती है। ऐसा करने से वे खुद को और अपने बच्चों को सुरक्षित रख पाएंगी।
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Disclaimer: इस खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।