Kannauj: मनरेगा गबन मामला: एफआईआर दर्ज होने के बाद बीडीओ को मिली उमर्दा की जिम्मेदारी, संयुक्त बीडीओ को कन्नौज सदर ब्लॉक बुलाया गया

Kannauj: मनरेगा गबन मामला: एफआईआर दर्ज होने के बाद बीडीओ को मिली उमर्दा की जिम्मेदारी, संयुक्त बीडीओ को कन्नौज सदर ब्लॉक बुलाया गया

कन्नौज, अमृत विचार। बीडीओ सदर अमित सिंह के खिलाफ गबन की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद उनको कन्नौज से हटाकर उमर्दा ब्लॉक भेज दिया गया है। डीडीओ से कार्यक्रम अधिकारी उमर्दा का प्रभार छीन लिया गया है। साथ ही उमर्दा में तैनात संयुक्त बीडीओ दिनेश चंद्र को कन्नौज ब्लॉक बुला लिया गया है। 

डीएम शुभ्रान्त शुक्ल के अनुमोदन के बाद बीडीओ के कार्यक्षेत्र में फेरबदल करने वाला आदेश सीडीओ राम कृपाल चौधरी ने जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा के कार्य को छोड़कर कन्नौज ब्लॉक में संयुक्त बीडीओ दिनेश चंद्र जिम्मेदारी निभाएंगे। अब तक वह उमर्दा में तैनात थे। इसके अलावा बीडीओ अमित सिंह को उमर्दा में तैनाती दी गई है। साथ ही पहले की तरह तालग्राम में कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा का अतिरिक्त प्रभार रहेगा। 

खास बात यह है कि मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी कन्नौज का प्रभार अब डीआरडीए के पीडी रामऔतार सिंह को दिया गया है जो पहले की तरह गुगरापुर के कार्यक्रम अधिकारी की भी जिम्मेदारी देखेंगे। उमर्दा के कार्यक्रम अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार देख रहे डीडीओ नरेंद्र देव द्विवेदी अब सिर्फ विकास भवन में अपने मूल पद पर रहेंगे। उनसे पहले ही बीडीओ उमर्दा का चार्ज ले लिया गया था। 

पीडीसी संघ में हो रही मंत्रणा

चर्चा है कि पीडीसी संघ में मंत्रणा हो रही है। बीडीओ अमित सिंह के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के विरोध में सभी एकजुट हो सकते हैं। इसको लेकर ज्ञापन व कार्रवाई वापस लेने की मांग हो सकती है। 

गैरजमानती हैं धाराएं, निरीक्षक संजय शुक्ल करेंगे जांच

बीडीओ सदर अमित सिंह (अब उमर्दा), लेखाकार योगेश शुक्ल व आरईडी के जेई संतोष कुमार पर गबन की रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। बताया गया है कि इन लोगों पर जो धाराएं लगाई गईं हैं वह गैरजमानती हैं। मामले की जांच पुलिस निरीक्षक संजय शुक्ल को सौंपी गई है।  

ब्लॉक प्रमुख रामू कठेरिया ने तीनों आरोपियों के खिलाफ 27 अक्टूबर की रात में दर्ज कराई रिपोर्ट में कहा है कि तीनों आरोपियों ने मिलकर पांच लाख 59 हजार 318 रुपये मनरेगा के तहत सामग्री मद में गबन किया है। पुलिस ने रिपोर्ट में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316 (5) और 318 (4) शामिल की है। 

बताया जा रहा है कि धारा 316 (5) में अगर कोई सरकारी कर्मचारी या बैंक का कर्मी आपराधिक विश्वासघात करता है तो उसे सात साल की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। गैर जमानती इस धारा वाले केस की सुनवाई सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट करते हैं। 

इसमें समझौता नहीं किया जा सकता है। यह धारा संपत्ति के दुरुपयोग से जुड़े अपराध से निपटती है। इसके अलावा धारा 318 (4) में धोखाधड़ी करने और बेईमानी से छले गए व्यक्ति को किसी को संपत्ति देने के लिए प्रेरित करने से संबंधित है। यह भी गैर जमानती और संज्ञेय है। 

चर्चा के मुताबिक हो गई तैनाती

कन्नौज तहसील व ब्लॉक क्षेत्र के लिए चर्चा थी कि ज्यादातर अधिकारी व कर्मचारियों की तैनाती एक वर्ग से होगी। बीडीओ के कार्यक्षेत्र में जो फेरबदल हुआ है उसमें सदर ब्लॉक सटीक बैठता है

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