‘प्रताप’ भवन को मीडिया म्यूजियम बनाएं, अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जयंती आज, कानपुर इतिहास समिति सौंपेगी ज्ञापन

‘प्रताप’ भवन को मीडिया म्यूजियम बनाएं, अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जयंती आज, कानपुर इतिहास समिति सौंपेगी ज्ञापन

कानपुर, अमृत विचार। अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के अखबार ‘प्रताप’ और फिरंगी हुकूमत के खिलाफ उसके तेवर को विस्मृति से बचाने के लिए फीलखाना स्थित प्रताप भवन को धरोहर घोषित कर वहां मीडिया म्यूजियम बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। 

शनिवार को विद्यार्थी जयंती पर कानपुर इतिहास समिति राष्ट्रपति को संबोधित इस आशय का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपेगी। जनसरोकार और कुव्यवस्था के विरुद्ध पत्रकारिता को धार देने की शुरुआत प्रताप के फीलखाना दफ्तर से हुई थी। प्रताप अखबार राष्ट्रवाद और जनजागरण का संवाहक था। उसमें भगत सिंह समेत बड़े-बड़े क्रांतिकारी छद्म नाम से लेखन करते थे।

9 नवंबर 1913 को गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने साथी शिवनारायण मिश्र, नारायण प्रसाद अरोड़ा और यशोदानंदन के साथ मिलकर प्रताप का प्रकाशन शुरू किया था। फिरंगी हुकूमत के विरुद्ध तल्ख तेवरों से जल्दी ही अखबार ने लोगों के दिलों में पहचान बना ली। अपने संपादकीय लेखों के कारण विद्यार्थी जी को 5 बार जेल जाना पड़ा।  मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, श्रीकृष्ण मेहता ने एक केस में उनके पक्ष में गवाही दी थी। 

‘बापू ने कहा था, काश ऐसी मौत उन्हें भी नसीब हो’

23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई। विरोध में देश भर में बंद का आह्वान किया गया। कानपुर में दंगा भड़क गया। 25 मार्च को विद्यार्थी जी दंगा शांत कराने के लिए भीड़ के बीच पहुंच गए। हिंसक भीड़ ने उनकी जान ले ली। विद्यार्थी जी की शहादत पर महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘उनकी मृत्यु एक ऐसे महान उद्देश्य के लिए हुई है कि उन्हें ईर्ष्या हो रही है, काश ऐसी मौत उन्हें भी नसीब हो।’ 

फूलबाग, चौबेगोला और तिलकहाल में कार्यक्रम

गांधी शांति प्रतिष्ठान ने फूलबाग तो कानपुर इतिहास समिति और फिजा (फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स) ने विद्यार्थी जी के शहादत स्थल चौबेगोला और शहर कांग्रेस कमेटी ने तिलकहाल में उनकी स्मृति पर कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हुई थी चर्चा

कानपुर इतिहास समिति के मंत्री शांतनु त्रिपाठी ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में प्रताप भवन को धरोहर घोषित करने की मांग पर चर्चा हुई थी। लेकिन इसके बाद क्या हुआ, जानकारी नहीं है।

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