जाने वह कौन सा देश, जहां तुम चले गये... मशहूर प्रशिक्षक मो. हैदर के निधन पर खेल जगत में शोक की लहर

जाने वह कौन सा देश, जहां तुम चले गये... मशहूर प्रशिक्षक मो. हैदर के निधन पर खेल जगत में शोक की लहर

लखनऊ, अमृत विचार। पुष्पा मिश्रा हो या फिर राज नारायण सिंह। लक्ष्मण अवार्डी उमेश निषाद हो या फिर कीर्ति मिश्रा। तैराकी और गोताखरी के इन दिग्गजों के साथ ही तमाम ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें मशहूर प्रशिक्षक मोहम्म हैदर ने प्रशिक्षित किया। इन खिलाड़ियों ने प्रदेश के साथ ही देश और विदेश में भी दमदार प्रदर्शन किया।

गुरुवार सुबह उसी प्रशिक्षक मो. हैदर के निधन की खबर से खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। गोमती नदी से शुरू किये तैराकी प्रशिक्षण के बाद केडी सिंह बाबू स्टेडियम ओर शहर के तमाम तरणतालों में उन्होंने तैराकी और गोताखोरी के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया।

74 साल की उम्र में हैदर ने केजीएमयू में अंतिम सांस ली। वह पिछले एक माह से बीमार चल रहे थे। तबियत अधिक खराब होने पर उन्हें दो हफ्ते पहले केजीएमयू में भर्ती कराया गया था। यहां गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार ऐशबाग कब्रिस्तान में किया गया।

उनके निधन पर उत्तर प्रदेश तैराकी संघ के अध्यक्ष राजा जय प्रताप सिंह व सचिव शिवम कपूर, लखनऊ तैराकी संघ के अध्यक्ष रविन कपूर सहित तैराकी संघ के विभिन्न पदाधिकारियों, खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों ने शोक व्यक्त किया। केडी सिंह बाबू स्टेडियम में शोक सभा आयोजित की गई और शाम के सत्र में अभ्यास स्थगित कर दिया गया।

बताते चलें कि 2010 में सेवानिवृत्ति के बाद भी मोहम्मद हैदर खुद को तरणताल से दूर नहीं रख सके। वे निशुल्क केडी सिंह बाबू स्टेडियम के मिनी तरणताल में खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने आते रहे। उनकी बेहतरीन ट्रेनिंग की बदौलत सैकड़ो गोताखोरों और तैराकों ने खेल जगत में कामयाबी का सफर तय किया।

मोहम्मद हैदर अपने परिवार में पत्नी और तीन भतीजे छोड़ गए हैं। उत्तर प्रदेश कराटे संघ के टीपी हवेलिया, यूपी ओलंपकि संघ के सचिव आनंदेश्वर पाण्डेय, लखनऊ फुटबॉल संघ के सचिव कन्हैया लाल, लखनऊ एथलेटिक्स संघ के सचिव बीआर वरुण के साथ ही खेल विभाग में तैनात प्रशिक्षक सतीश यादव सहित अन्य लोगों ने शोक जताया।

मो. हैदर एक जुनूनी प्रशिक्षक रहे। तैराकी और गोताखोरी का प्रशिक्षण देना ही उनका जीवन था। सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनका अधिकांश समय खिलाड़ियों के प्रशिक्षण में ही गुजरा। दो महीने पहले जब वह अस्वस्थ्य हुए तब से प्रशिक्षण नहीं दे सके। अधिकांश विभागों में उसने प्रशिक्षण लिये हुए खिलाड़ी तैनात हैं। तैराकी जगत को उनकी कमी हमेशा रहेगी।
आर एन सिंह, पूर्व अंतरराष्ट्रीय तैराक, संयुक्त निदेशक, खेल विभाग उत्तर प्रदेश।

ऐसे प्रशिक्षक कभी नहीं मिलेगा। गोताखोरी में उनके प्रशिक्षण की बदौलत प्रदेश के खिलाड़ियों ने पदक जीतने शुरू किये। उनसे प्रशिक्षण लेने वालों की लंबी लाइन थी। तरणताल पर उनकी कमी अखरेगी..., उमेश कुमार, लक्ष्मण अवार्डी।

यह भी पढ़ें: राज्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा, दिवाली से पहले मिल जायेगी बढ़ी सैलरी, पेंशनरों को होगा फायदा

ताजा समाचार