कासगंज : जिला कारागार में अल्फाबेट के अनुसार मिलेंगे बंदियों को बैरक

शासन के निर्देश पर जिला कारागार में वैरक आवंटन करने की प्रक्रिया शुरू

कासगंज : जिला कारागार में अल्फाबेट के अनुसार मिलेंगे बंदियों को बैरक

कासगंज, अमृत विचार। जिला कारागार में अब बंदियों को नाम के पहले अक्षर के अनुसार बैरक आवंटित की जा रही हैं। यह नई व्यवस्था कारागार मुख्यालय के आदेश के बाद लागू की गई है। जिसका उद्देश्य बंदियो की पहचान और खोज को आसान बनाना है। पहले जेल में रोहन,श्याम रामोतार, अमन आदि नाम के बंदी एक ही बैरक में रखे जाते थे। जिससे जेल अधिकारियों को उन्हें ढूंढने में परेशानी होती थी, लेकिन अब इस नहीं प्रणाली के तहत हर बंदी को उसके नाम के पहले अक्षर के अनुसार बैरक में रखा जा रहा है। 

इस नई व्यवस्था के तहत अगर किसी बंदी का नाम ए से शुरू होता है तो वह जाकर पहली सूची में दर्ज होगा। उसी के अनुसार उसे बैरक  आवंटित की जाएगी। यह प्रक्रिया से अधिकारियों को समझने में आसानी होगी कि किस बंदी को किस वैरक में रखा गया है। इसका एक और फायदा यह है कि मुलाकात के समय बंदियो को जल्दी ढूंढा जा सकेगा और कोर्ट की तारीख को पर जाने वाले बंदियों को तलाशने में किसी प्रकार की कोई  दिक्कत नहीं होगी। जिला जेल के अधिकारी और बंदी रक्षक अब अल्फाबेट के अनुसार सभी बंदियों की सूची तैयार कर रहे हैं, ताकि जल्द से जल्द सभी को उनके नाम के अनुसार बैरक में आवंटित किया जा सके। अधिकाश बंदियों को इस व्यवस्था के तहत नई बैरकें मिल चुकी है,जबकि कुछ का काम अभी जारी है। इस नई व्यवस्था से जेल प्रशासन को बंदियों को प्रबंधन अधिक सुचारू रूप से करने में मदद मिलेगी। जिससे जेल में अनुशासन में भी सुधार होगा। 

आंकड़ों की नजर में
-जिला कारागार की क्षमता - 1050 
-वर्तमान में महिला पुरुष बंदी की संख्या -626
-कुल कैदियो की संख्या -100
-कुल पुरूष बंदियों की संख्या -500
-महिला बंदियों की संख्या- 26
-मां के साथ बच्चों की संख्या -4
-बंदी रक्षकों की संख्या 102

कारागार मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद जेल में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। अल्फाबेट के हिसाब से बंदियों को बैरक आवंटित की जा रही है। ज्यादातर को बैरक ट्रांसफर भी कर दिया गया है। आदेश का पूरी तरह से पालन कराया जा रहा है। जिससे  बंदियो को तलाशने में काफी आसानी होगी। -विजय विक्रम सिंह, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, जेल कारागार, पचलाना।