प्रयागराज: जिस मदरसे में छापे जा रहे थे जाली नोट, मिली थी ब्रिटिश हुकूमत से मंजूरी
100 पन्नों के जवाब की कॉपी पीडीए को भेजी
प्रयागराज, अमृत विचार : अतरसुईया के जिस मदरसे में जाली नोट छापने और बच्चों के ब्रेन वॉश किए जाने का खुलासा हुआ था। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तक जा पहुंचा है। मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने बुलडोजर चलाने की तैयारी भी की थी। प्रयागराज प्राधिकरण अथॉरिटी ने मदरसा कमेटी को इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। वहीं अब कमेटी ने पीडीए को 100 पन्नों का जवाब भेजा है।
मदरसे पर बल्डोजर चलाने के मामले में अथार्टी कमेटी ने जवाब की कॉपी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को भेजी है। इस मामले में कमेटी का कहना है कि मदरसे में मस्जिद है और इसके लिए ब्रिटिश हुकूमत ने इजाजत दी थी। उस वक्त प्रयागराज अथॉरिटी का गठन नहीं हुआ था। मामले में कमेटी ने अपना पक्ष रखा है और दस्तावेज भी दिए हैं। फिलहाल मदरसे को सील किया गया है। मदरसे में नोटिस भी चस्पा की गई है। जिसमे लिखा है कि मदरसा का नक्शा बना नहीं है। कागज़ात में मदरसा का 2700 स्क्वायर फिट वर्ग गज का ही निर्माण अवैध पाया गया है। प्राविप्रा ने नोटिस में दर्शाया था कि 18 सितंबर तक मदरसा कमेटी अपना जवाब प्रस्तुत करे अन्यथा मदरसे पर बुल्डोजर एक्शन गई कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश 4 सितंबर को जारी किया गया था। इन सभी कार्रवाई से पहले 27 अगस्त को मदरसे में जाली नोट छापते हुए मौलवी सहित 4 आरोपी गिरफ्तार कर जेल भेज गए थे। प्राधिकरण का कहना है कि बिना नक्शा पास कराए मदरसा की 3 मंजिला इमारत का निर्माण कराया गया है। जांच के दौरान 2700 स्क्वायर फिट में अवैध निर्माण पाया गया था।
1940 में बनवाया गया था मदरसा, 300 साल पहले बनी थी मस्जिद
मदरसा कमेटी ने अपने जवाब की रिपोर्ट में यह भी दर्शाया है कि सभी निर्माण विकास प्राधिकरण समेत दूसरे सरकारी विभागों की अनुमति के बाद बनाये गए हैं। मदरसा परिसर में स्थित मस्जिद-ए-आजम 300 साल पहले बनवाई गई थी। मदरसे को 84 साल पहले 1940 में स्थापित किया गया था। उस वक्त मदरसे के निर्माण के लिए ब्रिटिश हुकूमत से मंजूरी मिली थी। इसका नक्शा देश की आजादी के बाद 1952 में नगर पालिका परिषद द्वारा पास कराया गया था। उस वक्त प्रयागराज विकास प्राधिकरण ना नामो निशान नही था। इसके बाद 1973 में विकास प्राधिकरण का नाम और काम शुरु हुआ। इसके बाद 1981 में विकास मस्जिद-ए-आजम 300 साल से ज्यादा पुरानी है। मदरसे की स्थापना 84 साल पहले 1940 में की गई थी।
मदरसे में होती थी पांच वक्त की नमाज
अतरसुइया के इस मदरसे में पांच वक्त की नमाज रोज होती थी। जाली नोट के खुलासा के बाद उसे सील कर दिया गया। जिसकी वजह से अब नमाज बंद हो गई है। मदरसे में पढ़ने वालेसऊ से अधिक बच्चो की पढ़ाई भी खराब हो रही है।
इस मदरसा को 80 सालों से चलाया जा रहा है। मुख्य गेट से लगी हुई तीन तरफ की दीवारें काफी ऊंची और मोटी बनी हैं। इनकी दीवारें किले की दीवार की तरह हैं। डेढ़ बीघा जमीन पर बने मदरसे में 100 से अधिक बच्चों के रहने, खाने, सोने के इंतजाम वाले हॉस्टल भी हैं। परिसर में 40 कमरे इसमें 2 बड़े हॉल, 20 बाथरूम, पार्किंग, वजूखाना, नमाज अदा करने की जगह, मेस, एंट्री और एग्जिट के 4 गेट के साथ प्रिंसिपल ऑफिस और आवास बने हैं।,
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