बाराबंकी: फाइलों में दम तोड़ गई ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था, सफाईकर्मी संघ का विरोध हुआ सफल, गांवों के हालात बद से बदतर

एक साल पहले जारी हुआ था सफाईकर्मी और केयर टेकरों के लिए आदेश

बाराबंकी: फाइलों में दम तोड़ गई ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था, सफाईकर्मी संघ का विरोध हुआ सफल, गांवों के हालात बद से बदतर

बाराबंकी, अमृत विचार। ग्राम पंचायतों में सफाई व्यवस्था दुरस्त रखने के उद्देश्य से पंचायती राज विभाग द्वारा सफाईकर्मियों और सामुदायिक शौचालयों की केयर टेकरों की हाजिरी ऑनलाइल लगाने की व्यवस्था की गई थी। यहां तक यूपीपीआरटी पोर्टल पर बकायदा ब्लॉकवार इन दोनों श्रेणी के कर्मचारियों की फीड़िग भी पूरी कर ली गई थी लेकिन आदेश के एक साल बीत जाने के बाद भी यह व्यवस्था लागू नहीं हो सकी।

ऑनलाइन हाजिरी का विरोध ब्लॉक से लेकर निदेशालय स्तर तक सफाईकर्मचारी संघ ने किया था। जो सफल साबित हुआ। अब आलम यह है कि गांवों में तैनात सफाईकर्मी जाते ही नहीं है कागज पर सफाई के साथ वेतन निकल रहा है। कोई सफाईकर्मी ब्लॉक में बाबू बना बैठा है तो कोई साहब की गाड़ी चला रहा है।

जिले में पंद्रह ब्लॉकों में 1154 ग्राम पंचायतें हैं। पंचायती राज विभाग के अधीन करीब 17 सौ के आसपास सफाईकर्मी हैं। जो राजस्व गांव के हिसाब से तैनात हैं। वहीं हर पंचायत में बने सामुदायिक शौचालयों पर एक-एक केयर टेकरों की तैनाती है। एक साल पहले पंचायती राज निदेशक के आदेश पर सभी सफाईकर्मियों के साथ केयर टेकरों की हाजिरी ऑनलाइन लगाने की व्यवस्था की गई थी।

बकायदा यूपीपीआरडी पोर्टल पर इन दोनों श्रेणी के कर्मचारियों की ब्लॉक व ग्राम पंचायतवार फीड़िंग कराई गई थी। उधर ऑनलाइन हाजिरी को लेकर ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ ने ब्लॉक से लेकर निदेशालय स्तर तक विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन का लाभ संघ को मिला। नतीजा यह निकला की आज तक यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई। यह मामला कोई एक जिले का नहीं हैं लगभग सभी जिलों में यही स्थिति देखने को मिलेगी।

ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था लागू न होने से सफाईकर्मी मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। गांवों में फैली गंदगी प्रतिदिन की इनकी उपस्थिति का साक्षात प्रमाण है। एडीओ पंचायत, सचिव और प्रधानों को भी इससे लाभ मिल रहा है। तभी तो सफाई कर्मियों का वेतन आसानी से निकल रहा है। ब्लॉक में बाबूगिरी कर रहे सफाईकर्मी न तो अपने तैनाती वाले गांवों में जाते है और न ही सफाई करते हैं। कुछ तो साहब की गाड़ी तक चला रहे हैं।

बिना मूल काम किए निकल रहा वेतन

अपना मूल काम छोड़ साहब की चाकरी में लगे सफाईकर्मियों का वेतन बड़े आराम से निकल जा रहा है। डीपीआरओ कार्यालय हो या फिर ब्लॉक कार्यालय यहां तक की निदेशालय में साहब के आवभगत में लगे सफाईकर्मियों को वेतन कागज पर उनके तैनाती वाले ग्राम पंचायत से हर माह निकल जा रहा है। गांव में गंदगी का साम्राज्य फैला है। इस बिगड़ी व्यवस्था से ग्रामीण अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं। उदाहरण स्वरुप सूरतगंज ब्लॉक में तैनात रहे सफाईकर्मी जगदीश गौतम और सूरज दीक्षित लंबे समय से यहां बाबूगिरी कर रहे थे हालांकि डीपीआरओ द्वारा तबादले किए जाने के बाद भी वह यहीं जमे हुए हैं। जबकि इनका वेतन आसानी से तबादले से पहले तैनाती वाले गांवों में मूल काम न किए जाने केे बाद भी निकाल दिया जाता रहा। यही हाल अन्य ब्लॉक क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा।

स्वच्छता पखवाड़ा में दिखेगा सच

14 सितंबर से 13 अक्तूबर तक गांवों में स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जाना है। इस पखवाड़े में नाम के लिए सफाईकर्मियों को मूल काम के लिए उतारा जाएगा। कुछ जगह तो सिर्फ रस्मअदायगी की जाएगी। फोटो खिंचवाकर पोर्टल पर अपलोड कर गांव को साफ-सुथरा दिखा दिया जाएगा। इससे पहले पखवाड़े को लेकर निर्देश जारी कर खानापूर्ति की जाएगी।

सफाईकर्मियों को हर हाल में गांव में जाकर सफाई कार्य करना होता है। जो उनका मूल काम है। लापरवाही पर कार्रवाई भी होती है। सभी एडीओ को इस संबंध में पहले भी बताया जा चुका है। स्वयं मॉनीटरिंग करते हैं। सफाईकर्मियों से ब्लॉक कार्यालय में काम न लिया जाए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है...,नीतेश भोंडेले, डीपीआरओ।

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