मुरादाबाद : बढ़ रहे रोगी, अस्पताल में नहीं है एंटी डिप्थीरिया सीरम इंजेक्शन

 संभल से रेफर होकर आया डिप्थीरिया पीड़ित बच्चा नई दिल्ली के चिकित्सालय में रेफर, मझोला व बिलारी के मंगूपुरा के दो बच्चे मंडलीय अस्पताल में भर्ती, हालत गंभीर

मुरादाबाद : बढ़ रहे रोगी, अस्पताल में नहीं है एंटी डिप्थीरिया सीरम इंजेक्शन

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिले के बिलारी क्षेत्र के सादिकपुर गांव में पिछले महीने 30 अगस्त तड़के सुबह जहां डिप्थीरिया रोग से ग्रसित एक 8 वर्षीय बच्ची की मौत हो चुकी है। वहीं, अब डिप्थीरिया के और केस आने शुरू हो गए हैं। दो रोगी जिला अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है। इसके अलावा संभल के जिला अस्पताल से रेफर होकर आए बच्चे को मंडलीय अस्पताल ने नई दिल्ली के महर्षि वाल्मिकी संक्रामक रोग चिकित्सालय में रेफर किया है। इस चंदौसी वाले बच्चे की हालत बहुत ही गंभीर बताई जा रही है। हालांकि, जो रोगी जिला अस्पताल में भर्ती हैं वह भी खतरे से बाहर नहीं हैं। यहां पर बड़ी बात ये है कि मंडलीय अस्पताल में एंटी डिप्थीरिया सीरम इंजेक्शन नहीं है।

रविवार रात को संभल जिला अस्पताल से रेफर होकर डिप्थीरिया पीड़ित एक बच्चा (8) गंभीर हालत में आया था। सैंपल (स्वाब) लेकर जांच के लिए लखनऊ लैब में भेजा गया है। प्रारंभिक उपचार के बाद भी हालत अधिक क्रिटिकल देखकर बाल रोग विशेषज्ञ और ईएनटी (नाक-कान-गला) सर्जन की सलाह पर मंडलीय अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे नई दिल्ली के संक्रामक रोग चिकित्सालय में रेफर कर दिया था। सोमवार सुबह मझोला क्षेत्र में एकता कॉलोनी और बिलारी के ही मंगूपुरा गांव का एक बच्चा मंडलीय अस्पताल में भर्ती हुआ है, ये दोनों बच्चे डिप्थीरिया पीड़ित हैं। इनका भी सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। 

मंडलीय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार ने बताया कि अस्पताल में भर्ती डिप्थीरिया पीड़ित दोनों बच्चों की हालत बेहतर नहीं है। उनका इलाज चल रहा है। जांच को भेजे एक सैंपल की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। चिकित्सा अधीक्षक ने कहा, जांच रिपोर्ट अभी न आना दीगर बात है लेकिन, चिकित्सा के आधार पर वह कह सकते हैं कि इन बच्चों को डिप्थीरिया ही है। उन्होंने बताया कि समस्या ये भी है कि डिप्थीरिया पीड़ित को लगने वाले इंजेक्शन एंटी डिप्थीरिया सीरम अस्पताल में नहीं है। इसकी सप्लाई सरकारी अस्पतालों में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन से नहीं है। लेकिन, वह लोग एंटी डिप्थीरिया सीरम इंजेक्शन के अभाव में रोगी का इलाज बाधित नहीं कर सकते हैं। 

इसलिए लोकल पर्चेज (एलपी) के माध्यम से बाजार से इंजेक्शन खरीदकर रोगी को निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं। बाजार में एंटी डिप्थीरिया सीरम इंजेक्शन की कीमत 1200 रुपये से भी अधिक है। उन्होंने बताया कि एक रोगी को कम से कम 4 से 6 एंटी डिप्थीरिया सीरम इंजेक्शन लगते हैं। डिप्थीरिया पीड़ित रोगी का इलाज कम से कम 10 से 14 दिन तक चलता है।

डीपीटी टीका लगवाएं, तीन जानलेवा रोगों से बचाएं
मंडलीय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार ने बताया कि यदि माता-पिता अपने बच्चे का लालन-पालन ठीक ढंग से करें और समय पर डीपीटी का टीका लगवाएं तो उसे डिप्थीरिया जैसी जानलेवा बीमारी से जूझना न पड़े। उन्होंने बताया कि शिशु के जन्म के बाद डेढ़ महीने पर डीपीटी का टीका लगता है। इसके बाद फिर ढाई महीने और फिर साढ़े तीन साल की आयु होने पर डीपीटी का टीका लगता है। फिर जन्म के 15 से 18 महीने पर बच्चे के बूस्टर का पहला डोज और पांच वर्ष की आयु होने पर बूस्टर टीके की दूसरी डोज लगती है। उन्होंने कहा कि डीपीटी टीके का यह पूरा कोर्स बच्चे में डेढ़ महीने की आयु से पांच वर्ष तक चलता है। इसमें किसी माता-पिता को लापरवाही नहीं करनी चाहिए। डीपीटी टीका बच्चे को तीन बीमारियों से बचाता है। इनमें डिप्थीरिया (गला घोंटू), पर्टुसिस (काली खांसी) और टेटनस (लॉकजॉ) जैसी बीमारी शामिल हैं।

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